मध्यप्रदेश सरकार ने बुधवार रात को खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के दो अधिकारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया। इसके अलावा एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। ये कार्रवाई दो जिलों के आठ चावल मिल (राइस मिल) के खिलाफ पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर के तहत की गई है। 4 Number Vo :- सरकारी अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार की रिपोर्ट में पाया गया कि इन जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से वितरित चावल मानव उपभोग के लिए अयोग्य और पशुधन और मुर्गी पालन के लिए उपयुक्त थे।
इससे पहले बुधवार को भाजपा सरकार से माफी की मांग करते हुए, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोगों के बीच इस तरह के चावल के वितरण को मानवता के खिलाफ आपराधिक कार्य बताया था। बुधवार रात को राज्य सरकार द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘बालाघाट और मंडला जिलों में चावल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं, जबकि बालाघाट के जिला प्रबंधक को मामले में निलंबित कर दिया गया है। संबंधित मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।’ क्या है पूरा मामला कोरोना काल के दौरान केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की तरफ से मध्यप्रदेश में जो चावल राशन दुकानों से गरीबों में बांटा गया था वो खाने लायक नहीं थे। मामले के खुलासे के बाद से राज्य सरकार एक्शन में आ गई है। प्रदेश के छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले की राशन दुकानों में गरीबों को दिए जाने वाले चावल के 32 नमूनों की जांच की गई थी। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की सीजीएल लैब में जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जो चावल गरीबों को दिए गए वे खाने लायक नहीं थे। जांच में यह भी पता चला कि जिन गोदामों में यह चावल रखा हुआ था, उसकी बोरियां दो से तीन साल पुरानी थीं।
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