सरकार ने कोरोना की घर-घर जाकर जांच बंद कर दी है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि अब जो व्यक्ति फीवर क्लीनिक या कोविड के लिए अधिकृत हॉस्पिटल में सैंपल देकर टेस्ट कराना चाहेगा, उसे शुल्क नहीं देना होगा। इसे लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिसे मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि टेस्ट अभी भी फ्री है। केंद्र की आयुष्मान योजना के तहत जिन अस्पतालों में इलाज हो रहा है, वहां पैसा नहीं लगेगा। जहां आयुष्मान लागू नहीं है, तो वहां मरीजों को बिल दिया जाएगा। वह स्वेच्छा से जितना देना चाहे दे सकेगा।
वहीं राजधानी में अब निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोरोना का इलाज कर सकेंगे। संबंधित मरीज को स्वयं के व्यय पर इलाज करवाना होगा। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना वार्ड बना सकते हैं। उन्हें कोविड-19 में जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। प्रदेश में दो माह में आठ गुना बढ़ गए एक्टिव केस :- लगातार दूसरे दिन 1800 से ज्यादा (1864) नए केस मिले। एक जुलाई को 2625 एक्टिव केस थे, जो अब आठ गुना बढ़कर 17205 हो गए हैं। इनमें चार हजार मरीज इंदौर में हैं। मंगलवार को कुल 22 हजार 597 सैंपल जांचे गए । 33 मरीज ऐसे जिन्होंने भर्ती होने के 24 घंटे में ही दम तोड़ा :- राजधानी के कोविड अस्पतालों में मार्च से 7 सितंबर के बीच 310 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। इनमें से 33 की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 30 मिनट से लेकर 24 घंटे के बीच हुई। जिला प्रशासन की कोविड पेशेंट डेथ लाइन लिस्ट के मुताबिक कोरोना से मरने वालों में 2 मरीज ऐसे हैं, जिनकी मौत घर से अस्पताल के बीच हो गई।
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