निर्यात हो सकता है गेहूं, 4 बड़े देशों ने की डिमांड
मप्र। मध्यप्रदेश के किसानों को गेहूं फिर मालामाल बना सकता है। देश में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा है लेकिन दुनिया के 4 बड़े देशों ने भारत से गेहूं देने का अनुरोध किया है।
यदि केंद्र सरकार निर्यात पर प्रतिबंध शिथिल कर गेहूं एक्सपोर्ट करने का निर्णय लेती है तो इसका सर्वाधिक लाभ एमपी के किसानों को ही होगा। खास बात यह है कि एमपी के गेहूं की विदेशों में सबसे ज्यादा डिमांड है और यही कारण है कि प्रदेश से इस साल गेहूं का रिकार्ड निर्यात हुआ।
राजधानी के थोक व्यापारियों के अनुसार इंडोनेशिया, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने भारत सरकार से अपने-अपने देशों में गेहूं भेजने के लिए अनुरोध किया है।
इन चारों देशों से देश के द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध हैं। खास बात यह है ये सभी इस्लामिक देश हैं। वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों में सरकार उनका अनुरोध स्वीकार कर सकती है।
हालांकि केंद्र ने अभी गेहूं की घरेलू जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन करने की बात कही है। बीते 13 मई को देश ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
हालांकि तब भी यह कहा था कि पड़ोसियों और जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात किया जाता रहेगा। हाल ही में इंडोनेशिया, बांग्लादेश समेत कुछ अन्य देशों को केंद्र सरकार ने 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी भी दी।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अब 12 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दे सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसके साथ ही प्रदेश के किसानों की बल्ले-बल्ले हो जाएगी।
मप्र के किसानों के लिए पैसे कमाने के इसलिए हैं सबसे ज्यादा अवसर
— इन देशों को कितना गेहूं निर्यात किया जाएगा, इसपर जल्द फैसला होगा।
— प्रदेश के गेहूं में विभिन्न कारणों से एक्सपोर्टर की अधिक रुचि है
— इस बाद देश में गेहूं उत्पादन में कमी आई है, मध्यप्रदेश में भी उत्पादन अपेक्षानुरूप नहीं रहा। इसके बाद भी प्रदेश में पर्याप्त गेहूं है
— प्रदेश के किसानों ने समर्थन मूल्य पर बहुत कम गेहूं बेचा। उनके पास खासा स्टाक है।
— मप्र के गेहूं की गुणवत्ता के कारण देश से गेहूं के निर्यात के पहले दौर में अप्रेल में देश से सर्वाधिक गेहूं एमपी का ही निर्यात हुआ।
— प्रदेश के गेहूं में विभिन्न कारणों से एक्सपोर्टर की अधिक रुचि है
— इस बाद देश में गेहूं उत्पादन में कमी आई है, मध्यप्रदेश में भी उत्पादन अपेक्षानुरूप नहीं रहा। इसके बाद भी प्रदेश में पर्याप्त गेहूं है
— प्रदेश के किसानों ने समर्थन मूल्य पर बहुत कम गेहूं बेचा। उनके पास खासा स्टाक है।
— मप्र के गेहूं की गुणवत्ता के कारण देश से गेहूं के निर्यात के पहले दौर में अप्रेल में देश से सर्वाधिक गेहूं एमपी का ही निर्यात हुआ।