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5 दिन का मानसून सत्र 2 दिन में खत्म

 

4 घंटे भी ठीक से नहीं चला सदन; हुक्का बार और तंबाकू प्रोडक्ट के विज्ञापन पर बैन

प्रश्नकाल में उठा अवैध खनन और किसानों का मुद्दा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 11 जुलाई से 15 जुलाई तक 5 दिन सत्र चलना था। 2 दिन में ही इसे खत्म कर दिया गया। इन दो दिनों में भी सत्र 4 घंटे ठीक से नहीं चला। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच दोनों दिन 2-2 घंटे ही सदन चला। बुधवार को सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश हुआ। भारी हंगामे के बीच वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 26 हजार 816 करोड़ 63 लाख 87 हजार रुपए का अनुपूरक बजट पेश किया। हुक्का बार और तंबाकू से बने उत्पाद के विज्ञापन पर बैन के लिए संशोधित विधेयक पास हुआ।
15वीं विधानसभा का यह अंतिम सत्र था। सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने महाकाल लोक भ्रष्टाचार, आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा भावन की आग के मामले में जांच की मांग को लेकर नारेबाजी की। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले प्रश्नकाल के बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित हुई।
भाजपा विधायक संजीव सिंह ने भिंड में रेत भंडारण में अनिमियता का मुद्दा उठाया। उन्होंने अवैध रेत उत्खनन और अवैध भंडारण पर कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाया है। जिस पर खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने विधायक संजीव सिंह के सवाल का जबाब देते हुए कहा कि अवैध भंडारण और अवैध रेत उत्खनन पर कार्रवाई की गई है। मंत्री ने मामलों में एफआईआर दर्ज करने की भी बात कही है।
प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी ने वन भूमि और राजस्व भूमि के टकराव में प्रभावित किसानों का मुद्दा उठाया। इस प्रश्न पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मुद्दे को किसानों से जुड़ा बताते हुए कहा कि इसमें किसानों का नुकसान होता है। इसमें यह पता लगाना चाहिए कि पट्टे की जमीन को लेकर कितने किसानों के आवेदन स्वीकार किए गए और कितने निरस्त किए गए। कमलनाथ ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार छोटे छोटे कारण बताकर 70 से 80 फीसदी आवेदन निरस्त कर दिए जाते है। सरकार की तरफ से वन मंत्री विजय शाह ने सदन को बताया कि जो पट्टे निरस्त हुए है, उन्हें जांच में लिया गया है। कोई भी नहीं छोड़ा गया है। इस तरह कई मुद्दे प्रश्नकाल की कार्यवाही के उठे, जिनका सरकार के मंत्रियों ने जबाव दिया।
आदिवासी गेटअप में पहुंचे विधायक बोले- कोई भाजपा नेता सिर पर पेशाब न कर दें, इसलिए टोपी पहन कर आए

मानसून सत्र में दूसरे दिन विपक्ष के आदिवासी पर हो रहे अत्याचार को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर जमकर सियासत हुई। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से कार्रवाई की गई है। नेता प्रतिपक्ष गोविंद ने कहा कि जब तक चर्चा नहीं होगी, हम सदन नहीं चलने देंगे। इधर आदिवासी गेटअप में पहुंचे कांग्रेस विधायक ने कहा कि सर पर टोपी रूपी कोमब्री और जूट का कपड़ा पहन कर आए है। हमें डर है कि कोई भाजपा का कार्यकर्ता या नेता हमारे सर पर पेशाब न कर दें।
संसदीय कार्यमंत्री व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, कांग्रेस ने सत्र हंगामे की भेंट चढ़ा दिया। हम चर्चा चाहते थे, ये भागना चाहते थे। शायरी में कहा- बदहवास हुए इस तरह से कांग्रेस के लोग/ जो पेड़ खोखले थे उसी से लिपट गए। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा, ये जनता की बात हमसे सुन लेते, लेकिन इन्हें परेशानी है। दबा दो, छिपा दो, इनके पास यही बचा है।
महेश्वर से कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा, सत्ता पक्ष अहंकार में है। विधानसभा सत्र चलाना चाहिए। जनता ने हमें चुनकर भेजा है, हम तो अपनी आवाज उठाएंगे। ये सौदे की सरकार है, इसीलिए इसेकिसी से कुछ लेना-देना नहीं है।
राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष ने पूरी तरह से चाहा कि सत्र चले। जो मुद्दे उठाए गए, उनका कोई अर्थ नहीं है, क्यों उन पर कार्रवाई हो चुकी है। विपक्ष का हमेशा रहता है कि उधम करो।
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