Mp News. मध्य प्रदेश में उगाए जाने वाले बासमती चावल (Basmati Rice) को GI टैग मिलने की उम्मीद फिर बढ़ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जीआई टैग देने की मांग वाली याचिका पर एमपी सरकार की दलील मंजूर कर ली है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिए हैं कि मद्रास हाईकोर्ट मध्य प्रदेश (MP) में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग देने वाली याचिका पर पुनः सुनवाई करे.
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग देने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन उसे हाईकोर्ट (High Court) ने खारिज कर दिया था. इसके बाद एमपी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी.
क्या है मामला
साल 2010 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग मिला था. उसी दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से भी बासमती चावल को जीआई टैग देने की मांग की गई थी. लेकिन एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी यानि एपीडा ने इसका विरोध किया था. इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने चेन्नई में जीआई रजिस्ट्रार के यहां अपील दायर की थी. 2013 में फैसला एमपी के पक्ष में आया लेकिन इसी बीच पंजाब ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई और फिर फैसला एमपी के खिलाफ आया. बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने जीआई टैग देने की एमपी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था.
एमपी में बासमती की पैदावार
सोयाबीन और कपास की खेती के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के करीब 13 जिलों में बासमती चावल की पैदावार होती है. इनमें मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, जबलपुर, नरसिंहपुर जिले शामिल हैं. ये बासमती चावल बेहद उम्दा क्वालिटी का होता है इसलिए मध्य प्रदेश शासन इसे GI टैग दिलाने का प्रयास कर रहा है.