मध्य प्रदेश में बिजली संकट के बीच अब बिल और महंगा होने की आशंका है. दरअसल, प्रदेश कोयला संकट से जूझ रहा है. इससे निपटने के लिए शिवराज सरकार ने साढ़े 7 लाख मैट्रिक टन का ग्लोबल टेंडर तो जारी कर दिया है, लेकिन यह मौजूदा दर से कई गुना महंगा है.
एक अनुमान के मुताबिक, बिजली का बिल करीब-करीब 15 फीसदी बढ़ जाएगा. प्रदेशवासी 10 अप्रैल से वैसे ही विद्युत की बढ़ी हुई दरें देने पर मजबूर हैं.
बता दें, कोयले को लेकर प्रदेश के हालात चिंताजनक हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने साढ़े 7 लाख मैट्रिक टन कोयला आयात करने के लिए जो ग्लोबल टेंडर (इंटरनेशनल कंपीटिटिव बिडिंग) जारी किया है, उसकी दरें कोयले की वर्तमान दरों से कई गुना महंगा है.
976 करोड़ रुपये के इस टेंडर का कोयला लगभग 13000 रुपये प्रति टन बैठ सकता है, जो विदेशों से आयात किया जाएगा. विद्युत मामलों के जानकार बताते हैं कि हाल ही में हुआ यह टेंडर न केवल कई गुना महंगा है, बल्कि इसकी प्रक्रिया भी शुद्ध नहीं है.
ऐसा इसलिए क्योंकि बिजली के उत्पादन और टैरिफ के लिए मैनेजमेंट कंपनी से परामर्श लिया जाना था. साथ ही, इसके लिए विद्युत नियामक आयोग से भी अनुमति ली जानी थी.
पूर्व एग्जीक्यूटिव चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक, वर्तमान में विद्युत नियामक आयोग द्वारा कोयला आपूर्ति के लिए जो दरें तय हैं वह लगभग 2000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल टन है.
जबकि, केंद्र सरकार के फरमान के बाद आनन-फानन में बिजली कंपनियों ने जो टेंडर जारी किया है उसकी दर 13000 प्रति क्विंटल है. इस हिसाब से कंपनियों को कोयला कई गुना महंगा मिलेगा.
साथ ही, बिजली का बिल भी बढ़ जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक बिजली की दरों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हो जाएगी, जो प्रति यूनिट 1 रुपये से ज्यादा की हो सकती है.
इतना दरें बढ़ाना चाहती थीं कंपनियां
गौरतलब है कि 10 अप्रैल से मध्य प्रदेश में बिजली की दर 2.64 फीसदी बढ़ चुकी है. हालांकि, बिजली कंपनियों ने प्रदेश में बिजली की दर 8.71% बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन उन्हें केवल 2.64 फीसदी ही बिजली दर बढ़ोतरी की मंजूरी दी गई.
बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई याचिकाओं में करीब 3916 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया था.
उसकी भरपाई के लिए 8.71% की बढ़ोतरी की मांग की गई थी, लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने केवल 1181 करोड़ रुपये का घाटा ही मंजूर किया. अब कोयले की आपूर्ति के लिए 976 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार दरों को और बढ़ा सकता है ।