भारत में महंगाई और बेरोज़गारी के लिए मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार – आराधना मिश्रा
National News – कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि 2022 तक विश्वगुरू बनने की बात कही गई थी लेकिन देश को नफरत की आग में झोंक दिया गया. राहुल ने यह भी कहा कि बेरोजगारी, महंगाई और टैक्स के बोझ के तले जनता दबी जा रही है. उन्होने कहा, ‘‘महंगाई का जाल तोड़ो, भारत जोड़ो! आज देश में सबसे बड़ी समस्याएं हैं-बेरोजगारी, महंगाई और बढ़ती नफरत. ‘बहुत हुई महंगाई की मार’ वाला जुमला आप सबको याद ही होगा, लेकिन आज खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर लगाकर जनता से वसूली की जा रही है.’’
राहुल ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
राहुल ने आरोप लगाया कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था, लेकिन आज देश में 45 वर्षों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘हम 2022 तक विश्वगुरु बनेंगे’ लेकिन आज देश को नफरत की आग में झोंक दिया गया है. राहुल ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि मुद्दे कई हैं जिन पर बात होनी चाहिए, सवाल उठने चाहिए, जवाब मिलने चाहिए. अगर सरकार द्वारा जनता के मुद्दे उठाने के लिए द्वेष, भय और प्रतिशोध की राजनीति की जाएगी तो हम सब कुछ झेलने के लिए तैयार हैं. सच बोलने के लिए मुझ पर जितने आक्रमण करने हैं, कर लें, मैं पीछे नहीं हटूंगा.
आराधना मिश्रा ने महंगाई और बेरोज़गारी के लिए मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को बताया जिम्मेदार
वहीं, श्रीमती आराधना मिश्रा ‘‘मोना’’, नेता कांग्रेस विधानमंडल दल, उत्तरप्रदेश ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी केवल महंगाई को नियंत्रित करने में ही असफल नहीं हुए बल्कि उनकी गलत नीतियों और धोखेबाज़ी ने वास्तव में लोगों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है।
एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता को महंगाई और बेरोज़गारी से मुक्त भविष्य का सपना दिखाया था। इसके विपरीत आज उन्होंने लोगों को रिकॉर्ड तोड़ मूल्य वृद्धि और 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी की भयावह स्थिति में डाल दिया है। पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार का रिकॉर्ड इस सच्चाई को उजागर करता है।
प्रधानमंत्री ने 2019 में मतदाताओं के सामने इस बात का दंभ भरा था कि खाद्यान्न, दही, लस्सी और छाछ जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन 2022 में उन्होंने उन्हीं वस्तुओं पर जीएसटी लगा दी। उन्होंने 2019 के चुनाव में लोगों से वोट लेने के लिए उज्ज्वला योजना का खूब प्रचार किया लेकिन चुनावों के तुरंत बाद उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए रसोई गैस पर सब्सिडी को खत्म कर दिया। रसोई गैस की कीमतों में दोगुनी से अधिक वृद्धि करके उसे 1,053-1200 रुपये प्रति सिलेंडर तक पहुंचा दिया और करोड़ों उपभोक्ता आज अपने खाली गैस सिलेंडर को फिर से भराने की स्थिति में नहीं हैं। ये उन तमाम मामलों में से सिर्फ़ दो ऐसे उदाहरण हैं जहां प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों का वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें धोखा दिया और फिर अपनी ‘डूब मरो’ की विचारधारा का पालन करते हुए उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया।
मोदी सरकार की दिशाहीन नीतियों ने बेरोज़गारी की स्थिति को विनाशकारी मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। नोटबंदी और जल्दबाज़ी में लागू की गई जीएसटी कर प्रणाली पहले ही अर्थव्यवस्था को बड़ा गहरा आघात पहुंचा चुकी थी, इस सबके ऊपर मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर रही है, उनका निजीकरण कर रही है और बहुमूल्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियाँ अपने पूंजीपति मित्रों को हस्तांतरित कर रही है। सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण केंद्र सरकार में 10 लाख पद खाली पड़े हैं जो कि कुल स्वीकृत पदों का 24 प्रतिशत हैं।
विवेक शून्य ‘अग्निपथ’ योजना हमारे युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं के साथ तो खिलवाड़ करती ही है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक नया ख़तरा है। सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपने देश की सेवा करने का सपना देखने वाले युवकों और युवतियों को 4 साल के लिए संविदा आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें पेंशन या सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।
सरकार की इन विवेकहीन नीतियों के परिणाम विनाशकारी रहे हैं। लाखों युवा निराश होकर नौकरी के बाज़ार से बाहर हो गए हैं। इस पलायन के बावजूद 20 से 24 आयु वर्ग के 42 प्रतिशत युवा जो अब भी नौकरी की तलाश में हैं, वे बेरोज़गार हैं। इसी का नतीजा है कि पीएचडी और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्राप्त युवा भी चपरासी जैसे कम शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत वाले पदों के लिए आवेदन करने के लिए मजबूर हैं।