MP News in Hindi – मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के महज चार दिन प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा राजधानी दिल्ली पहुंच गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, मिश्रा शुक्रवार सुबह छह बजे दिल्ली आए। इस दौरान उन्होंने संगठन के शीर्ष नेताओं के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात करने की चर्चा है।
चार दिन पहले मिले थे गृहमंत्री शाह से
मिली जानकारी के अनुसार, मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के साथ वन-टू-वन चर्चा की। पहले उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ लगभग आधे घंटे तक मीटिंग की। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी चर्चा की।
संगठन मंत्री हितानंद शर्मा से भी अलग से बात की। इसके अलावा शाह ने राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को भी अलग से समय दिया था। इस दौरान शाह ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए फीडबैक लिया। इसके पहले भी शाह जब अप्रैल में भोपाल आए थे। तब उन्होंने संगठन की बजाय सत्ता में शामिल नेताओं से बात की थी। इस दौरान भी उन्होंने डॉ. मिश्रा से अलग से मुलाकात की थी।
ऑपरेशन लोटस में निभा चुके हैं महत्वपूर्ण भूमिका
मध्यप्रदेश की सियासत में भाजपा पर जब भी संकट आया डॉ. नरोत्तम मिश्रा संकटमोचक के रूप में नजर आए हैं। 2018 के चुनाव में संख्या बल में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद विपक्ष में बैठने वाली भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में नरोत्तम मिश्रा का अहम किरदार रहा है।
प्रदेश में चले मिशन लोटस में नरोत्तम मिश्रा का अहम किरदार रहा है, जिसके चलते उन्हें शिवराज मंत्रिमंडल में गृह मंत्री के पद से नवाज कर उसका इनाम दिया गया है। हालांकि, नरोत्तम मिश्रा का पार्टी में कद इतना बढ़ गया है कि उनका नाम इससे पहले डिप्टी सीएम के लिए भी तेजी के साथ चला। लेकिन पार्टी ने उन्हें राज्य का गृह मंत्री ही बनाया।
डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव ठीक एक वर्ष बाद होना है। इसी को देखते हुए पार्टी प्रदेश में बड़े बदलाव कर सकती है। इसमें जातिगत समीकरणों को संतुलित करने के लिए एक या दो उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा हाईकमान मिश्रा को डिप्टी सीएम का पद दे सकता है। कहा जा रहा है कि नरोत्तम मिश्रा को उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा जातिगत समीकरण साधने के साथ अन्य कई निशाने साध सकती है। दरअसल, शिवराज के ही कैबिनेट में ही गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उनके प्रतिस्पर्धी माने जाते हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले परिवर्तन की अटकलें
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के बाद से ही प्रदेश की सियासत में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश में किसी तरह के नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से फिलहाल इनकार कर रहे हैं।
दरअसल, प्रदेश में चेहरा बदलने को लेकर कई बार चर्चाएं होती हैं। इन चर्चाओं पर संगठन के नेता विराम लगाते रहते हैं। कुछ महीने पहले भोपाल दौरे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आए थे। उनसे नेतृत्व परिवर्तन पर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा कि यहां सब कुछ ठीक है।
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार अच्छा काम रही है। वहीं, 2023 में भाजपा का चेहरा कौन होगा? इस सवाल पर भाजपा के नेता सीधे जवाब नहीं दे पाते हैं। अब भाजपा ने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या 2023 में भाजपा चेहरा बदलने की तैयारी में है?
2023 से पहले बदलाव की आहट
15 सालों से अधिक वक्त से मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान भाजपा का चेहरा हैं। चौथी बार वह मुख्यमंत्री बने हैं। आज से ठीक एक साल बाद एमपी में विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले भाजपा ने बदलाव कर कई संकेत दिए हैं। शिवराज के संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद उनके विरोधियों को उन्हें घेरने का मौका मिल गया है।
इसके साथ ही एक नकारात्मक छवि भी बनती है और दुष्प्रचार का मौका मिल जाता है। ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे है कि चुनाव से पहले प्रदेश में कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर भाजपा की नजर
मिशन 2023 को देखते हुए भाजपा हाईकमान की कमान इन दिनों मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर है। छत्तीसगढ़ में एक सप्ताह के अंदर दो बड़े बदलाव हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक के चेहरे बदल गए हैं। एमपी में भी सुगबुगाहट शुरू है।
एक सप्ताह के अंदर एमपी के दो बड़े नेता राष्ट्रीय स्तर के संगठन में जिम्मेदारी से मुक्त कर दिए गए हैं। इनमें सबसे बड़ा चेहरा तो एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान का है। वहीं, पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल के प्रभारी पद से मुक्त कर दिया गया है। इन बदलावों से यह संकेत मिल रहा है कि 2023 से पहले एमपी में कुछ बड़ा होने वाला है।