आज है विश्व ब्लड कैंसर दिवस 2022: बच्चों में भी हो सकता है ब्लड कैंसर, लगातार बुखार रहना है इसका लक्षण

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Health News. ब्लड कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 28 मई को विश्व ब्लड कैंसर दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को ब्लड कैंसर के कारण और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी देना होता है. ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता है. लोगों को लगता है कि ये कैंसर सिर्फ ज्यादा उम्र में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. बच्चों में भी ब्लड कैंसर के मामले पाए जाते हैं. हालांकि ये उनमें जानलेवा नहीं होता. समय पर इसके लक्षणों की पहचान से इलाज आसानी से हो सकता है. आइए आपको बताते हैं कि बच्चों में ब्लड कैंसर के कारण और लक्षण क्या हैं.

दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर की डॉ. गौरी कपूर के मुताबिक, बड़ों की तरह बच्चों में भी कई प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं. हालांकि बच्चों में कुछ अलग प्रकार के कैंसर भी होते हैं. अगर समय पर इनके लक्षणों की पहचान हो तो बीमारी की गंभीरता कम और इलाज दर भी अच्छी रहती है. डॉ. के मुताबिक, बच्चों मे ल्यूकेमिया यानी, ब्लड कैंसर के काफी मामले देखे जाते हैं. लोगों में यह आम धारणा कि बच्चों में ब्लड कैंसर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है. बच्चों में एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) का ब्लड कैंसर होता है. इसके करीब 80 प्रतिशत मामलों में इलाज हो जाता है.एक गलत धारणा यह भी है कि बच्चों में कैंसर जेनेटिक कारणों से होते हैं, जबकि ये कैंसर डीएनए में हुए बदलाव की वजह से होते हैं.

ये हैं बच्चों में कैंसर के लक्षण

-बिना किसी संक्रमण के लंबे समय तक बुखार रहना

-शरीर में कमजोरी आना और भूख कम लगना

-आसानी से चोट लग जाना और उससे ज्यादा खून बहना

-शरीर पर गांठ निकलना

-तेज सिरदर्द के साथ उल्टी आना

ब्लड सेल ट्रांसप्लांट के जरिए होता है इलाज़

ब्लड कैंसर के कई मामलों में ब्लड सेल ट्रांसप्लांट के जरिए इलाज होता है. ये एक ऐसा तरीका है, जिसमें बोन मैरों को बाहर निकालकर थेरेपी मैरो से बदल देते हैं. हालांकि इसके लिए एक डोनर की जरूरत होती है. हालांकि ये स्थिति तब आती है जब मरीज में कैंसर के लक्षण गंभीर हो जाते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

-बच्चे के खानपान का ध्यान रखें

-भोजन में ज्यादा चीनी और नमक का प्रयोग न करें

-बच्चों को खेलकूद के प्रति प्रोत्साहित करें

-कैंसर के लक्षण दिखते ही डॉक्टरों से संपर्क करें.

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