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सारे विधायक केजरीवाल के साथ तो क्यों किया सरकार गिराने की कोशिश का दावा – भाजपा 

जैसे ही यह खबर सामने आई कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लगभग एक दर्जन विधायक पार्टी के संपर्क में नहीं हैं, वैसे ही सियासी गलियारे में आते ही सनसनी फैल गई। इससे आम आदमी पार्टी का यह दावा मजबूत होता दिखाई पड़ा कि उसकी दिल्ली की सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास पर विधायक दल की बैठक के दौरान भी कुछ विधायकों के समय से न पहुंचने से बेचैनी बढ़ती जा रही थी और महाराष्ट्र में सरकार गिरने जैसी किसी अनजान आशंका को बल मिल रहा था।

हालांकि, समय बीतने के साथ सारे विधायक मुख्यमंत्री आवास पर विधायक दल की मीटिंग में पहुंचे और पार्टी का यह डर समाप्त हो गया कि उसका कोई विधायक पार्टी से अलग होने की बात सोच रहा है। मीटिंग में केवल वही आठ विधायक नहीं पहुंचे जो पार्टी की जानकारी में किसी अन्य कार्य से दिल्ली से बाहर थे। (जैसे मनीष सिसोदिया हिमाचल प्रदेश में प्रचार कर रहे थे तो विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल विदेशी यात्रा पर हैं। सत्येंद्र जैन ईडी की हिरासत में हैं तो पांच अन्य आम आदमी पार्टी विधायक निजी कारणों से शहर से बाहर हैं।)

विधायक दल की बैठक के बाद महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर पहुंचकर अरविंद केजरीवाल ने भी यह माना कि उनके सभी विधायकों का पार्टी में भरोसा बना हुआ है। उन्होंने इस बात के लिए ईश्वर को धन्यवाद भी दिया कि उन्हें मनीष सिसोदिया जैसे साथी मिले हैं जो किसी भी कीमत पर उनके साथ धोखा करने के लिए तैयार नहीं हैं।

बड़ा प्रश्न यह है कि जब पार्टी के सभी विधायकों का भरोसा अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी में बना हुआ है तो पार्टी ने यह दावा क्यों किया कि उसकी सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है? क्या यह एक्साइज पॉलिसी से ध्यान भटकाने की कोशिश है या इसके जरिए गुजरात-हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बढ़त लेने की कोशिश की जा रही है?

एक्साइज मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं होगी कामयाब: भाजपा
दिल्ली बीजेपी के नेता हरीश खुराना वह व्यक्ति हैं जिनकी शिकायत पर ही एक्साइज पॉलिसी में हुए तथाकथित भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि भाजपा का कोई नेता आम आदमी पार्टी के विधायकों के संपर्क में नहीं है। दिल्ली सरकार को गिराने की कोई कोशिश नहीं की जा रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अरविंद केजरीवाल का रचा हुआ ‘ड्रामा’ है जिसका उद्देश्य एक्साइज पॉलिसी में हुए भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान भटकाना है। लेकिन वे इस मुद्दे से ध्यान भटकाने की आम आदमी पार्टी की कोई साजिश कामयाब नहीं होने देंगे। हरीश खुराना ने दावा किया कि एक्साइज पॉलिसी में भ्रष्टाचार बिल्कुल स्पष्ट है और इस मामले में मनीष सिसोदिया का जेल जाना तय है।

किसको होगा लाभ?

यदि यह सियासी ड्रामा है तो इसका लाभ किसे हो सकता है? इस सवाल पर बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कहा कि वे इसके सियासी लाभ-नुकसान की बात ही नहीं कर रहे हैं। वे तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से यह जानना चाहते हैं कि उनके ईमानदारी की राजनीति के दावे के बीच दिल्ली में इतना बड़ा भ्रष्टाचार क्यों हुआ? उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी को इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि उसने दिल्ली की शराब नीति में हुई भ्रष्ट कमाई को पंजाब विधानसभा चुनाव में कैसे और कहां खर्च किया।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को इस मामले में पैसों की ट्रेल भी मिल गई है। इस मामले में कुछ ऐसे चेहरे भी सामने आ रहे हैं जिनका शराब के व्यापार और शराब की दुकानों से कोई लेना-देना नहीं है। एक्साइज डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारियों के साथ-साथ कुछ लोग पूरी तरह सिविल लाइफ में जीने वाले लोग हैं जिनका इससे कोई सीधा संपर्क नहीं है और वे पैसों की लेनदेन को साबित करने में बड़ी कड़ी साबित हो सकते हैं। यदि दावे के मुताबिक इस मामले में पैसों की ट्रेल साबित हुई तो कई अन्य लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
खुराना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अब तक दूसरी पार्टियों के नेताओं के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते थे और उन्हें कोर्ट से माफी मांगनी पड़ती थी। लेकिन अब वे अपनी ही पार्टी के नेताओं पर ‘बिकने’ का आरोप लगा रहे हैं और स्वयं ही उनके ईमानदार होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जनता समझ रही है कि उनके दावे में कोई सच्चाई नहीं है और अब उनकी कलई खुल गई है।

क्या गुजरात-हिमाचल में केजरीवाल को होगा लाभ?
राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडेय ने कहा कि भाजपा के तमाम दावों के बीच भी आम आदमी पार्टी अपने आरोपों पर अडिग है। सौरभ भारद्वाज ने वृहस्पतिवार को भी अपने दावे को दुहराया है कि उनके विधायकों को 20-25 करोड़ रूपये का लालच देकर पार्टी को तोड़ने और सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है। लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायकों की पार्टी के प्रति वफादारी के कारण भाजपा की यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई।

हालांकि, आम आदमी पार्टी ने अब तक कोई ऐसा सबूत जनता के सामने पेश नहीं किया है जिससे यह साबित किया जा सके कि भाजपा का कोई नेता उनके नेताओं के संपर्क में था और पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहा था। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के दावे पर संदेह पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी के पास कोई सबूत है तो उसे जनता के सामने पेश करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि फिलहाल आम आदमी पार्टी ने इस बहस को छेड़कर लोगों का ध्यान दूसरे मुद्दे की ओर खींचने में सफल रही है। अब मीडिया में चर्चा का बिंदु बदल गया है जिसे आम आदमी पार्टी की सफलता माना जा सकता है। हालांकि, गुजरात और हिमाचल में उसे इसका कोई बड़ा लाभ मिल पाएगा, यह कहना कठिन है।

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