बताया जाता है कि सट्टे खिलाने वालों के लिए कुछ वेबसाइट सक्रिय हैं जिनके द्वारा आईडी बेची जाती है। सटोरियों की विश्वसनीयता पर आईडी दी जाती है और नये सटोरियों से एडवांस राशि लेकर आईडी दी जाती है। वेबसाइट पुराने सटोरियों को आईडी देती हैं और इन आईडी पर आईपीएल के मैच शुरू होते हुए सट्टा लगाए जाने का काम शुरू हो जाता है। जब किसी मैच में नुकसान होने लगता है तो कई बार वेबसाइट को बंद कर सट्टा कारोबार बंद हो जाता है। भोपाल के तीन सटोरिये ऐसी एक वेबसाइट पर आईपीएल शुरू होने के बाद से सट्टा खिला रहे थे जिन पर भोपाल क्राइम ब्रांच की नजर थी और इन लोगों ने अपने घर या किराए के मकान से इसका संचालन नहीं किया। बल्कि कार से ये आईपीएल मैचों पर सट्टा खिला रहे थे।
कार में लैपटॉप लेकर चलते थे
जानकारी के मुताबिक आईपीएल के मैचों पर सट्टा लगाने के लिए छोला विश्रामघाट के पास रहने वाले समीर उर्फ आशु बेग, छोला दशहरा मैदान के पास रहने वाले प्रिंस त्रिपाठी और नवजीवन कॉलोनी के लक्ष्मीनारायण रजक ने आईपीएल शुरू होने के बाद सट्टा की खायीबाजी शुरू की। इन लोगों ने किराये का मकान या अपने किसी ठिकाने पर बैठकर सट्टेबाजी को अंजाम देने के बजाय इस बार चलते-फिरते खायीबाजी करने का तरीका अपनाया। कार में लैपटॉप लेकर चलते थे और कई बार किसी होटल या ढाबे पर बैठ जाते थे।
20 लाख के सट्टे के रिकॉर्ड मिले
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शैलेंद्र सिंह चौहान ने लाइव हिंदुस्तान को बताया कि सटोरियों से अब तक उनके द्वारा जिन मैचों का रिकॉर्ड मिला है, वह करीब 20 लाख का सट्टा है। उसके पास चार मोबाइल, एक लैपटॉप, कार और नकद राशि करीब 21 हजार रुपए मिली है। गिरफ्तार आरोपियों में समीर सब्जी व्यापारी है तो प्रिंस त्रिपाठी प्रापर्टी डीलर और लक्ष्मीनारायण मजदूरी करता है।