सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब (Punjab) में एक नेता के खिलाफ साल 1983 में दर्ज आपराधिक मामले में 36 साल बाद निचली अदालत द्वारा अभियोग निर्धारित किये जाने पर अचरज व्यक्त करते हुए गुरुवार को कहा कि अभियोजन का यह कर्तव्य है कि मुकदमे की सुनवाई तेजी से हो. न्यायालय को न्याय मित्र ने सूचित किया था कि 4,442 मामलों में देश के नेताओं पर मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से 2,556 आरोपी तो वर्तमान सांसद-विधायक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सांसद और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका में आदेश पारित किया है. इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को 2 दिनों के अंदर भ्रष्टाचार और अन्य गैर-आईपीसी अपराधों के लंबित मामलों पर डेटा सौंपने के लिए कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दागी विधायकों और सासंदों को जिंदगीभर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते में जवाब मांगा है. वहीं मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि देश में विधायकों और सांसदों के खिलाफ करीब 4 हजार से भी ज्यादा मामले लंबित हैं. प्रतिबंध लगाने की मांग इस मामले में याचिकाकर्ता वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सांसदों और विधायकों को गंभीर अपराध के मामलों में किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर विधानसभा या संसद को दागी विधायकों या सांसदों को चार्जशीट के बाद प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
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