फर्जी नर्सिंग कॉलेज हो जाएं सावधान, मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान ।

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
2 Min Read

मध्यप्रदेश में संचालित हो रहे फर्जी नर्सिंग कॉलेजों पर मानव अधिकार आयोग का चाबुक चलने वाला है ।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन के चार मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों से प्रतिवेदन मांगा है। जिनमे मुख्य रूप से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों पर ध्यान दिया गया है ।

सरकारी रिकार्ड में प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों के दो हजार अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा बेड,
ये हकीकत में होते, तो नहीं भटकते मरीज

[expander_maker id=”1″ more=”आगे पढ़े ” less=”Read less”]

प्रदेश में बेकाबू हो चुके कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल फुल है, संकट के इस दौर में प्रदेश के करीब दो हजार नर्सिंग होम संजीवनी साबित हो सकते थे। यदि कागजों में मौजूद ये नर्सिग होम और इनके एक लाख से ज्यादा बेड हकीकत में होते। ये वो नर्सिग होम है, जिन्हें नर्सिंग कॉलेजों ने अपनी मान्यता के लिये भरा पूरा बताया था। अब हालात देखकर सरकार को भी इन नर्सिंग कॉलेजों से संबद्ध नर्सिंग होम्स की याद आई है और सरकार ने पूछा है कि अस्पताल और बेड कहां है ? एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित इस ग्राउंड रिपोर्ट पर त्वरित संज्ञान लेकर आयोग ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मंत्रालय से 10 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि नर्सिंग कॉलेजों के दो हजार अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा बेड की हकीकत/वास्तविकता क्या है ? साथ ही यह भी पूछा है कि इन कालेजों/अस्पतालों का निरीक्षण यदि किसी अधिकारी या संस्था ने किया है, तो उसकी जांच रिपोर्ट में क्या उल्लेखित किया गया है ?

ज्ञात हो कि यदि बारीकी से जांच की जाए तो प्रदेश में दर्जनों की संख्या में फर्जी नर्सिंग कॉलेज निकलेंगे जहां मान्यता से लेकर पास फेल कराने और भी कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आएगी  ।

[/expander_maker]

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।