कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर अब मध्य प्रदेश का कोई भी निजी अस्पताल मरीज को लूट नहीं सकेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार (Shivraj Government) द्वारा निर्धारित निजी अस्पतालों की इलाज की दरों को ना केवल हरी झंडी दी है बल्कि इसका आदेश 1 जून से तत्काल लागू करने का भी निर्णय लिया है.
कोरोना आपदा को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दर्ज की गई स्वतः संज्ञान याचिका पर सोमवार को दिन भर सुनवाई चली. इस बीच पिछली सुनवाई में पेश किए गए एक अंतरिम आवेदन में निजी अस्पतालों की मनमानी वसूली का मुद्दा उठाया गया था. 24 मई को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार को 1 सप्ताह के भीतर निजी अस्पतालों की इलाज की दरों को निर्धारित करने के निर्देश दिए गए थे, जिस के परिपालन में प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी ने निजी अस्पतालों में इलाज की दरों संबंधी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की.
शिवराज सरकार की ये थी मंशा, लेकिन…
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इलाज की दरों पर तो सहमति जताई, लेकिन इसे लागू करने की तारीख पर कई आपत्तियां सामने आई हैं. शिवराज सरकार से 10 जून से इसे लागू करना चाहती थी जिस पर अदालत मित्र समेत अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं ने विरोध दर्ज कराया. हाईकोर्ट ने स्पष्ट स्पष्ट किया कि सरकार आदेश को 1 जून से ही लागू करेगी.
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>> नई दरों के मुताबिक, अब कोविड-19 के लिए जनरल वार्ड में अधिकतम दर 5000 रुपए होगी.
>> जबकि आईसीयू में 10 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से अधिक वसूली अस्पताल नहीं कर सकेंगे.
>>इसके साथ ही वेंटिलेटर युक्त आईसीयू के लिए 17 हजार रुपये प्रतिदिन की सीमा तय की गई है.
>>इन तय की गई दरों में नर्सिंग चार्ज, डॉक्टर फीस,डाइट और पीपीई किट का खर्चा शामिल होगा.
>>निजी अस्पतालों के लिए तय की गई दरों के अलावा वह सिर्फ दवा और जांच का ही पैसा ले सकेंगे.
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