किसानों से नरवाई नहीं जलाने के लिये की गई अपील

sadbhawnapaati
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किसानों से आग्रह नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें
इंदौर. किसानों से अपील की गई है कि वे नरवाई जलाए नहीं। नरवाई जलाना पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिये हानिकारक होता है। नरवाई जलाने वालों के विरूद्ध दण्ड दिये जाने का प्रावधान भी है। किसानों से आग्रह किया गया है कि वे नरवाई का उपयोग खाद और भूसा बनाने में करें। बताया गया कि किसान फसल काटने के पश्चात नरवाई में आग लगाकर उसे नष्ट करते है जिससे भूमि की उर्वरकता नष्ट होती है तथा अग्नि दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। पर्यावरण विभाग द्वारा नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करने दंड अधिरोपित करने का प्रावधान किया है।
बताया गया है कि उपलब्ध फसल अवशेषों को जलाने की बजाए उनको वापस भूमि में मिला देते है तो भूमि में कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता, पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि के साथ मिट्टी के भौतिक गुणों में सुधार होता है। किसानों से अपील की गई है कि खेतों में नरवाई बिल्कुल नहीं जलाएं। नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें। फसल अवशेषों को जलाने के बजाए भूमि में मिला देने से काफी लाभ होता है। फसल अवशेषों से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ भूमि में जाकर मृदा पर्यावरण में सुधार कर सूक्ष्मजीवी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है। इससे खेत की उर्वरता बढ़ती है। कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर प्रयोग अनिवार्य रूप से करें l स्ट्रा रीपर यंत्र डंठलों को काटकर भूसे में बदले देता है।
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