याचिकाओं में से एक कहा गया है कि सीबीएसई के बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन फॉर्मूले 30:30:30 के अनुसार, एक छात्र के कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं के लिए अंकों का वेटेज क्रमशः 106, 88 और 234 हैं यानी इनका कुल 428 अंक होंगे जो स्कूल द्वारा अग्रेषित किए गए थे, लेकिन याचिकाकर्ता को परिणाम में महज 364 अंक प्राप्त हुए।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता स्कूल जिसने मार्क्स अपलोड किए और प्रतिवादी बोर्ड द्वारा दिए गए रिजल्ट में 64 अंकों का अंतर आया। इस पर अदालत ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को पारित आदेश में न तो इस पहलू पर ध्यान दिया गया है और न ही इससे निपटने की व्यवस्था की गई।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे देखते हुए हम सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक को याचिकाकर्ताओं की उपरोक्त शिकायतों पर पुनर्विचार करने और उचित निर्णय लेने का निर्देश देना उचित समझते हैं। उन्हें एल्गोरिथम और सॉफ्टवेयर जो छात्र-वार अलग-अलग अंकों की अलग-अलग कटौती का प्रावधान करता है, के प्रवाह को समझने और उसे एक्सप्लेन करने के लिए तकनीकी टीम की सहायता लेनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें इस विवादास्पद मुद्दे पर किसी भी तरह से कोई राय व्यक्त करने के लिए विशेषज्ञ नहीं समझा जा सकता है। परीक्षा नियंत्रक द्वारा सभी पहलुओं पर अपनी योग्यता के आधार पर विचार किया जा सकता है और आज से दो सप्ताह के भीतर जवाब दिया जाए। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई को 12 जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया।