इंदौर। महानगर बनने की दिशा में बढ़ रहे इंदौर की सुरक्षा व निगरानी के लिए नगर निगम ने सिटी सर्विलांस पॉलिसी बनाई है। इसके तहत अब व्यावसायिक परिसर व टाउनशिप में कैमरे लगाकर उसकी फीड पुलिस व नगर निगम को देनी होगी। कोई भी रिकॉर्डिंग देने से इनकार नहीं कर पाएगा।
नगर निगम परिषद की पहली बैठक में पॉलिसी को मंजूरी देने की तैयारी है। इस पॉलिसी का उद्देश्य शहर के चप्पे-चप्पे को कैमरे की जद में लाना है। व्यावसायिक प्रतिष्ठान में बड़े मॉल्स, बिल्डिंग के साथ छोटी दुकानों में कैमरे लगाने की शर्त रहेगी। हर टाउनशिप, कॉलोनी में इस शर्त का पालन करने के वादे पर निर्माण की मंजूरी मिलेगी। पुराने प्रतिष्ठान भी पॉलिसी की जद में लाए जाएंगे। बाहरी विजुअल वाले कैमरों की रिकॉर्डिंग के उपयोग का अधिकार नगर निगम तथा पुलिस को होगा। निगम ने पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग के साथ मिलकर ये नियम बनाए हैं।
ये प्रावधान रहेंगे
-व्यावसायिक परिसर, टाउनशिप में सभी जगह को कवर करते हुए कैमरे लगाना जरूरी।
-निगम के एआईसीटीएसएल परिसर व पुलिस के पलासिया स्थित कंट्रोल रूम में इनकी फीड रहेगी।
-पुलिस को कैमरों की रिकॉर्डिंग लेने का अधिकार होगा।
3 लाख कैमरों की जरूरत है शहर में
स्मार्ट सिटी योजना के तहत कैमरों का जाल बिछाने की योजना थी। इसके लिए करीब 3 लाख कैमरे लगाने पड़ते, जिसका बजट शासन के पास नहीं है। यही वजह है कि निजी कैमरों के इस्तेमाल के लिए पॉलिसी लाई जा रही है।
हैदराबाद का स्थान विश्व में 16वां, उसी तर्ज पर बढ़ेंगे हम
इंदौर नगर निगम हैदराबाद मॉडल को लागू करने जा रहा है। हैदराबाद में सिटी सर्विलांस पॉलिसी है। शहर की निगरानी आधुनिक तरीके से की जा रही है। दुनिया में तीसरी नजर से प्रभावी कार्रवाई करने वाले शहरों की सूची में हैदराबाद 16वें नंबर पर है। इंदौर इसी तर्ज पर पॉलिसी ला रहा है।