व्यापमं के नाम बदलने से इसके पाप भुलाये नहीं जा सकते: कांग्रेस

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MP News। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने भ्रष्टाचार के कलंक के रूप में स्थापित हो चुके व्यापमं का नाम तीसरी बार बदले जाने को लेकर कहा है कि किसी भी संस्थान के बार-बार नाम बदल देने से भारी भरकम भ्रष्टाचार के कलंक के स्मारक बन चुके संस्थान के ना तो पापों को भुलाया जा सकता है और ना ही राजनेताओं, अफसरों और शिक्षा माफियाओं के इसमें शामिल गठजोड़ को दोषमुक्त किया जा सकता है।
श्री मिश्रा ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक से राज्य लोक सेवा आयोग और व्यापमं एक प्रकार से प्रदेश के बेरोजगार नौजवानों से इनके द्वारा आयोजित परिक्षाओं में फीस के रूप में मोटी रकम वसूलने और पात्र परिक्षार्थियों के विपरीत भ्रष्टाचार के माध्यम से अपात्र और फर्जी परीक्षार्थियों के चयन का माध्यम बन चुके हैं। इनकी इस ठगी का यह चरित्र सिर्फ बातों में ही नहीं कई प्रमाणों के रूप में सामने आ चुका है। विडम्बना तो यह है कि उक्त वर्णित गठजोड़ में जो प्रभावी चेहरे सामने आये हैं, वे भी अब बेशर्मी का पर्याय बन चुके हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार यह बताये कि व्यापमं का नाम तीसरी बार बदलने के नेपथ्य में उसकी मंशा क्या है? क्या नाम बदलने के छद्म बदलाव से इसके पाप धुल जायेंगे, व्यापमं भ्रष्टाचार के गंदे नाले में स्नान करने के बाद गंगोत्री में स्नान का पुण्य प्राप्त कर लेगा, या जिन बेरोजगारों के भविष्य के आगे अंधेरा परोसने के बाद वह उनकी बद्दुआओं से बच सकेगा? क्या निरस्त हुई परीक्षाओं में वसूली गई फीस अभ्यर्थियों को वापस दी जायेगी? क्या नाम परिवर्तित संस्था वसूली गई इस फीस का समंक सार्वजनिक करेगी?
श्री मिश्रा ने कहा कि क्या मौजूदा सरकार व्यापमं का नाम तीसरी बार बदलने के उपरांत व्यापमं जैसे महाघोटाले और इससे जुड़ी हत्याओं, आत्महत्याओं के आरोप से अपने स्वयं को मुक्त समझेगी और इससे हलाहल हुये परिवारों के परिजनों को वापस लौटा पायेगी?
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।