जमीन की लूट, कंपनियों की चरागाह और विस्थापितों के यातनागृह में बदला म.प्र. 

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श्वेतपत्र जारी होगा, जमीन और भू-अधिकार बचाने का आंदोलन होगा
MP Top News। मध्यप्रदेश जमीन की लूट और कंपनियों की चरागाह में बदल दिया गया  है।  बड़े पैमाने पर कंपनियों और कथित उद्योगों के नाम पर  किसानो से खेती की उपजाऊ जमीन  जा रही है।  इसके लिए क़ानून सम्मत भू-अर्जन की कार्यवाही करने की बजाय प्रशासनिक अधिकारियों तथा पुलिस की मदद से किसानो से जबरदस्ती  कागजो पर दस्तखत कराये जा रहे।  निजी कारपोरेट कंपनियों के लिए भी बजाय इसके कि वे किसानो से जमीन खरीदें सरकार छीनकर दे रही है। सामुदायिक स्वामित्व की  भूमियाँ भी नहीं बख्शी जा रही हैं।
 भू माफियाओं और कंपनियों की मदद के लिए भू-राजस्व संहिता सहित भूमि संबंधी सभी कानूनों में बदलाव किया जा रहा है।   यह निष्कर्ष आज हुई भूमि अधिकार आंदोलन की प्रदेश स्तरीय बैठक में  शामिल हुए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों का था।
बैठक में दर्ज किया गया कि प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है।  आदिवासी वनाधिकार क़ानून पर ढंग से अम्ल हुआ नहीं, जिन्हे वनाधिकार पट्टे मिले भी थे अब उनसे भी प्रशासनिक अधिकारी उन पट्टों को छीनकर उन्हें बेदखल कर रहा है, नतीजे में बड़े पैमाने आदिवासी पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं।   बिना किसानो को विश्वास में लिए ड्रोन के जरिये जमीन का सर्वे, स्वामित्व योजना, लैंड बैंक आदि मध्यप्रदेश के किसानो पर बड़े हमले की और उनकी जमीने छीनने की तैयारी है।
बैठक ने कहा कि हाईवे, एक्सप्रेस वे, कॉरिडोर, पावर हाउस, सोलर पावर  जैसे नामों पर भूमि हड़पने के साथ ही उनके नजदीक की लाखों एकड़ भूमि कार्पोरेट्स को देने के प्रावधान किये जा रहे हैं।
बैठक ने मध्यप्रदेश में जमीन की लूट , बेदखली की भयावहता और आदिवासियों की दुर्दशा पर एक श्वेत पत्र जारी करने का निर्णय लिया है।  इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गयी।
इस श्वेत पत्र के आधार पर दिसम्बर की शुरुआत में भूमि अधिकार आंदोलन का प्रादेशिक सम्मेलन किया जाएगा। इसी के साथ 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन प्रदेश भर में कार्यवाहियां करने का भी आव्हान किया गया।
जाग्रत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी की अध्यक्षता में हुयी बैठक में किसान संघर्ष समिति के डॉ सुनीलम, मप्र के भूमि अधिकार आंदोलन के संयोजक, अखिल भारतीय किसान सभा के बादल सरोज, मप्र किसान सभा के महासचिव अखिलेश यादव, कार्यकारी अध्यक्ष अशोक तिवारी, आदिवासी एकता महासभा के रामनारायण क़ुररिया, लालता प्रसाद, एआईकेकेएमएसके मनीष श्रीवास्तव, एडवोकेट आराधना भार्गव, जनपहल से योगेश दीवान, जनांदोलन से राजेश कुमार, सहित स्वप्निल शुक्ला, सिद्धार्थ लाम्बा,  आदित्य रावत,  गयाराम सिंह धाकड़,  संतोष सिंह,  सुभाष शर्मा, प्रेमनारायण माहौर, अरुण चौहान, मोना दीक्षित, वासिफ खान, सुरेंद्र जैन  आदि शामिल थे।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।