"ध्यान और चित्त की स्थिरता का मिला अनुभव" : उज्जैन में आयोजित हुआ एकदिवसीय विपश्यना बाल शिविर

devendra malviya
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devendra malviya
mai ek patrkar hu.
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उज्जैन। एकायनो मग्गो विपश्यना चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 15 जून 2025 को आयोजित एकदिवसीय “आनापानसति ध्यान शिविर” में बच्चों ने आत्मनिरीक्षण, एकाग्रता और मानसिक शांति के गहरे अनुभव प्राप्त किए। 13 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के कुल 21 बच्चों (12 बालक व 9 बालिकाएं) ने इस नि:शुल्क शिविर में भाग लिया।

शिविर में भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक ध्यान विधि विपश्यना का अभ्यास कराया गया, जिसे श्री सत्यनारायण गोयनका के ऑडियो-विजुअल माध्यम से प्रस्तुत किया गया। बच्चों को स्वाभाविक श्वास के निरीक्षण पर आधारित “आनापान” ध्यान सिखाया गया, जो विपश्यना ध्यान का पहला चरण है।

सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक चले इस सत्र में ध्यान अभ्यास के साथ-साथ वीडियो शिक्षण, परामर्श, प्रश्नोत्तर, खेल और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को जीवन में ध्यान के प्रयोग और लाभों को समझाया गया।

बच्चों के अनुभव: “मन को मिली शांति और एकाग्रता

शिविर में भाग लेने वाले अधिकांश बच्चों ने ध्यान को एक सकारात्मक और जीवन बदलने वाला अनुभव बताया।

गौरी जाधव (13), तन्वी खत्री (17), लक्ष्य थानी (14) और अनेकांत सेठी (13) ने कहा कि अब वे प्रतिदिन 10 मिनट ध्यान करने का संकल्प लेंगे।

मीत सोलंकी (18) ने कहा, “यह साधना मेरे लिए अत्यंत शांति देने वाला अनुभव रहा, मैं इसे नियमित जारी रखूंगी।”

शमतांश धारीवाल (11) का कहना था, “मैंने सीखा कि कभी हार नहीं माननी चाहिए और मन पर नियंत्रण करना चाहिए।”

पायल पाटीदार (18) ने इसे अपना पहला अनुभव बताया और कहा कि “मन की स्थिरता से आत्मिक शांति मिली।”

हर्षिता भगतानी (17) ने कहा, “मैंने चार घंटे ध्यान में बिताए और मन को शांति मिली, यह अनुभव मैं हमेशा याद रखूंगी।”

इसके अलावा, रुद्रांश सोनी, सुयश येलेवले, शिवांशी सोनी, प्रवी तोमर, पलक चौधरी, सारिका कुमारी, शुभम कुमार, निहार खत्री, दिवा खत्री सहित कई अन्य प्रतिभागियों ने ध्यान को एकाग्रता व आत्मशांति बढ़ाने वाला बताया।

ऐसे शिविर क्यों हैं ज़रूरी?

एकायनो मग्गो विपश्यना ट्रस्ट का उद्देश्य है कि बच्चों को प्रारंभिक आयु से ही मानसिक स्थिरता, अनुशासन और आत्मनिरीक्षण की शिक्षा दी जाए। आनापान ध्यान एक वैज्ञानिक, सरल और सार्वभौमिक विधि है जो किसी भी धार्मिक या संप्रदायिक पहचान से परे है। यह बच्चों को उनकी सोच, व्यवहार और प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण करना सिखाता है, जो आज के तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में अत्यंत आवश्यक है।

सफल समापन और भविष्य की प्रेरणा

शिविर का समापन “मैत्ता सत्र” और सॉफ्ट ड्रिंक के साथ हुआ। प्रतिभागियों ने फीडबैक फॉर्म के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए। यह एकदिवसीय आयोजन न केवल बच्चों को ध्यान और आत्मिक शांति से परिचित कराने का माध्यम बना, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास की दिशा में एक सार्थक प्रयास भी सिद्ध हुआ।

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