मनरेगा के फर्जी जॉब कार्ड में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण सहित अन्य जाने वाली अभिनेत्रियों की फोटो लगाकर उन्हें हजारों रुपए की मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। वहीं खुलासा मनरेगा के पोर्टल से हुआ। अगर आपको पता चले कि बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मनरेगा में मजदूरी करके हजारों रुपए कमा रही हैं। तो आप निश्चित रूप से चौक जाएंगे लेकिन यह खबर सच्ची है। दरअसल दीपिका पादुकोण सहित बॉलीवुड की अन्य अभिनेत्रियां मनरेगा में मजदूरी करके हजारों रुपए वेतन उठा रही है। इतना ही नहीं उन्हें इन वेतन का भुगतान उनके काम के लिए किया जा रहा है। बता दे कि मामला मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले का है। जहां आदिवासी बहुल जनपद पंचायत झिरन्या की पंचायत पीपरखेड़ नाका में यह कारनामा देखने को मिला है। मनरेगा के फर्जी जॉबकार्ड में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण सहित अन्य जानी मानी अभिनेत्रियों की फोटो लगाकर उन्हें हजारों रुपए की मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है । वहीं इसका खुलासा मनरेगा के पोर्टल से हुआ। जहां एक-दो नहीं बल्कि 1 दर्जन से अधिक फर्जी मजदूरों के नाम पर जॉबकार्ड पोर्टल फर्जीवाड़ा में संलिप्त है। वहीं दीपिका पादुकोण सहित अन्य फिल्मी अभिनेत्रियों की फोटो लगाकर मनरेगा के तहत रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है।
एक कार्डधारक मोनू दुबे है। मोनू दुबे के नाम के जॉब कार्ड में फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। मोनू दुबे ने कहा कि जॉबकार्ड पर दीपिका पादुकोण की फोटो लगाने के बाद उनके नाम पर तीस हजार रुपये निकाले गए। बावजूद इसके वह काम पर नहीं गए। यह क्रम हर महीने चलता रहता है। सोनू नाम के एक अन्य लाभार्थी है। जिसके जॉबकार्ड पर जैकलीन फर्नांडीज की तस्वीर लगाई है। हालांकि खुलासे के बाद इस फर्जीवाड़े का आरोप ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक पर लगाया गया है जबकि मामला संज्ञान में आने के बाद जिला पंचायत सीईओ गौरव बेनल ने भी दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। बड़े फर्जीवाड़ा में यह भी खुलासा हुआ है कि जॉब कार्ड धारकों में कई लोग ऐसे हैं। जिनके पास 50 से 60 एकड़ कृषि भूमि के अलावा 3-3 ट्रैक्टर है। इसके साथ ही बॉलीवुड की प्रसिद्ध हीरोइन के नाम से फर्जी जॉबकार्ड भी तैयार करके रुपए निकाले जा रहे हैं। अभिनेत्रियों की फोटो अंकित कर पंचायतों के सरकारी अधिकारी बड़ी राशि के हेरफेर में लगे हुए हैं। वही भ्रष्टाचार कर मजदूरों के नाम पर राशि का बंदरबांट भी किया जा रहा है। कोरोना काल में एक तरफ जहाँ मजदूरों की स्थिति भयावह हो गई है। वह निवाले-निवाले को तरस रहे वहीं दूसरी तरफ इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आने से इलाके के लोगों में रोष व्याप्त है।जब इस संबंध में ग्रामीण मजदूरों को को पता चला तो वे भी हक्के-बक्के रह गए। पंचायत सीईओ द्वारा 1 सप्ताह के भीतर जांच और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही जा रही है।
Great read with a touch of humor! For further details, check out: READ MORE. What are your thoughts?