साधु-संतों की आपत्ति के बाद आईआरसीटीसी ने वापस लिया फैसला, कहा रामायण एक्सप्रेस के वेटर्स की पोशाक भगवा नहीं होगी

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साधु-संतों की आपत्ति के बाद आईआरसीटीसी ने वापस लिया फैसला, कहा रामायण एक्सप्रेस के वेटर्स की पोशाक भगवा नहीं होगी

भोपाल. भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) को मध्य प्रदेश के उज्जैन के संतों के विरोध के आगे आखिरकार झुकना पड़ा। उज्जैन में संतों के विरोध के आगे झुकते हुए आईआरसीटीसी ने सोमवार शाम को कहा कि वह रामायण एक्सप्रेस में सवार वेटर्स (बैरा) के भगवा पोशाक को बदल देगा, जिसका साधुओं के एक वर्ग ने विरोध किया था।

रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में सवार वेटर की भगवा पोशाक पर आपत्ति जताते हुए उज्जैन के साधु-संतों द्वारा इस ट्रेन को 12 दिसंबर को दिल्ली में रोकने की धमकी दिए जाने के कुछ ही घंटे बाद आईआरसीटीसी ने ट्विटर पर एलान किया कि इस ट्रेन के वेटर्स की पोशाक अब भगवा नहीं होगी। इसे बदलकर अब वेटर की परंपरागत पोशाक कर दी गई है।

आईआरसीटीसी ने की इस खबर को अपनी वेबसाइट पर जारी करने वाले एक मीडिया चैनल को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘सूचित किया जाता है कि इन वेटरों की पोशाक को पूरी तरह से बदलकर अब वेटर की पेशेवर पोशाक कर दिया गया है।’’ इससे पहले दिन में संतों ने आईआरसीटीसी द्वारा संचालित रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में सवार वेटर्स की भगवा पोशाक पर आपत्ति जताई थी और इसे हिंदू धर्म का ‘अपमान’ करार दिया था।

उज्जैन अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री अवधेशपुरी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हमने दो दिन पहले केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखकर रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में वेटर द्वारा भगवा ड्रेस में जलपान और भोजन परोसने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था। साधु-संतों जैसे भगवा कपड़े और रुद्राक्ष की माला पहन कर इस ट्रेन में वेटर द्वारा यात्रियों को जलपान और भोजन परोसना हिंदू धर्म और उसके संतों का अपमान है।’’

उन्होंने कहा कि अगर वेटर की भगवा ड्रेस बदली नहीं गई तो दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर साधु-संत इस ट्रेन को 12 दिसंबर को रोकेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम रेलवे पटरियों पर बैठेंगे। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए यह जरूरी है। हमने उज्जैन में इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है।’’

पोशाक में बदलाव के बारे में आईआरसीटीसी की घोषणा पर उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर, प्रसन्न अवधेशपुरी ने कहा, “यह (हिंदू) धर्म और ‘संस्कृति’ की जीत है” और इस मुद्दे को उठाना उनका कर्तव्य था। उज्जैन शहर में भगवान शिव का प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर है और यहां हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

देश की पहली रामायण सर्किट ट्रेन सात नवंबर को सफदरजंग रेलवे स्टेशन से तीर्थयात्रियों को लेकर 17 दिन के सफर पर रवाना हुई थी। यह ट्रेन भगवान राम के जीवन से जुड़े 15 स्थानों का भ्रमण करेगी। यह ट्रेन 7,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए तीर्थयात्रियों को अयोध्या, प्रयाग, नंदीग्राम, जनकपुर, चित्रकूट, सीतामढ़ी, नासिक, हम्पी और रामेश्वरम जैसे स्थानों पर ले जाएगी।

रामायण एक्सप्रेस को खासतौर से डिजाइन किया गया है। एसी कोच वाली ट्रेन में साइड वाली सीट को हटाकर वहां आरामदायक कुर्सी-टेबल लगाए गए हैं ताकि यात्री सफर का आनंद बैठ कर भी ले सकें। यह ट्रेन प्रथम श्रेणी के रेस्तरां एवं पुस्तकालय से सुसज्जित है।

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