पहले वर्ष इंजीनियरिंग डिग्री प्रोग्राम की फीस 79 हजार रुपये से लेकर 1.89 लाख रुपये सालाना निर्धारित की गई है। यह फीस कॉलेज सुविधाओं (कंप्यूटर लैब, शिक्षक, लाइब्रेरी) और शहर( मेट्रो सिटी, ए, बी, सी श्रेणी वाले शहर ) के आधार पर निर्धारित की गई है। खास बात यह है कि कॉलेज दूसरे, तीसरे व चौथे वर्ष अपनी पहले वर्ष लागू फीस में हर वर्ष पांच फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकेंगे।
एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय ने फीस स्लैब के प्रस्ताव को मंजूरी दी दी है। एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त देश के सभी कॉलेजों, डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी में यह फीस स्लैब लागू होगा। एआईसीटीई इसी हफ्ते फीस स्लैब को लागू करने के लिए राज्यों और कॉलेजों के लिए अधिसूचना जारी करेगा।
एआईसीटीई ने जस्टिस श्रीकृष्णन कमेटी और प्रो. मनोज कुमार तिवारी कमेटी की सिफारिशों और रिव्यू के आधार पर तैयार रिपोर्ट को फरवरी में आयोजित काउंसिल बैठक में पास किया था। मार्च महीने में रिपोर्ट को शिक्षा मंत्रालय के पास भेजा गया था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
आर्किटेक्चर व फार्मेसी की फीस संबंधित काउंसिल करेगी तय
आर्किटेक्चर और फार्मेसी कॉलेज बेशक एआईसीटीई के अधीन हैं, लेकिन वे उसकी फीस निर्धारित नहीं करेगी। दरअसल, आर्किटेक्चर प्रोग्राम में फीस, पाठ्यक्रम, परीक्षा संबंधी सभी फैसले काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर करेगी। ऐसे ही फार्मेसी कॉलेज की भी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया तय करेगी।
कुछ राज्यों ने रिपोर्ट पर भेजी राय
एआईसीटीई ने फीस स्लैब की रिपोर्ट और प्रस्ताव सभी राज्यों को भेजा था। हालांकि उनमें से कुछ ने ही इस पर अपने सुझाव और प्रतिक्रिया दी थी। अधिकतर राज्यों ने फीस स्लैब पर अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी है। देशभर के सभी तकनीकी कॉलेजों में कोर्स, पाठ्यक्रम, परीक्षा पैटर्न व सीट के लिए नियम एआईसीटीई ही तय करता है।
एआईसीटीई फीस को लेकर एक नीति बनाकर राज्यों को देने का अधिकार रखता है। इसी के तहत यह किया गया है। हालांकि तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थान फीस कितनी रखेंगे, इसका फैसला सभी राज्यों के उच्च शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की कमेटी करती है। एआईसीटीई इस फीस निर्धारित रिपोर्ट राज्यों को साझा करके इसे लागू करने का आग्रह करेगी, लेकिन राज्य के पास अधिकार होगा कि वे इसे मानें या न मानें।
छात्रों व अभिभावकों को मिलेगी राहत
इस फीस रिपोर्ट की अधिसूचना के बाद छात्रों और अभिभावकों को सबसे अधिक राहत मिलेगी। दरअसल, अभी 50 हजार रुपये से लेकर दस से 15 लाख रुपये सालाना फीस वसूली जाती है। हर राज्य में सरकारी और निजी कॉलेजों की फीस में अंतर है। इसी अंतर के चलते अच्छे और बेहतरीन छात्र इंजीनियरिंग की बजाय अन्य कोर्स में दाखिला लेने को मजबूर होते हैं। नया नियम लागू होने से अभिभावकों को पहले से पता रहेगा कि फीस कितनी, किस साल देनी है। निजी कॉलेज मनमानी नहीं कर पाएंगे।
पहले वर्ष के लिए फीस का स्लैब
- प्रोग्राम- कोर्स- न्यूनतम और अधिकतम फीस (फीस लगभग, सालाना रुपये में)
- यूजी-इंजीनियरिंग- 79, 000-1.89 लाख
- पीजी- इंजीनियरिंग-1.41 लाख -3.03 लाख?
- डिप्लोमा-इंजीनियरिंग- 67,000- 1.40 लाख
- यूजी- डिजाइन- 94,000-2.25 लाख
- पीजी -डिजाइन- 1.55 लाख- 3.14 लाख
- यूजी- एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट- 1.10 लाख- 2.53 लाख
- पीजी-एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट- 1.48 लाख- 2.25 लाख
- डिप्लोमा- एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट- 81,000- 1.64 लाख