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Education News. परंपरागत अनुभव आधारित प्राकृतिक (जैविक) खेती को कृषि विश्वविद्यालयों के यूजी-पीजी पाठ्यक्रम और अनुसंधान के दायरे में लाया जाएगा।
केंद्र की रणनीति को आगे बढ़ाते हुए मध्यप्रदेश शासन जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जुट गया है। जेएनकेबीबवी, जबलपुर और आरवीएसकेवीवी ग्वालियर से संबद्ध 15 कॉलेजों से प्राकृतिक खेती की पढ़ाई करके निकले विशेषज्ञ मिलेंगे।
किसानों को प्रेरित करने से प्राकृतिक उत्पादों का निर्यात बढ़ने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मजबूत होगी।
सत्र 2022-2023 से प्राकृतिक कृषि को सभी यूजी पाठ्यक्रमों के तीसरे वर्ष के दूसरे सेमेस्टर में समाहित करने के लिए विश्वविद्यालयों की विद्या परिषद की अनुमति और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से मान्यता लेने प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
कॉलेजों से दो-दो प्राध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए देशभर के प्राकृतिक कृषि आधारित संस्थानों में भेजा जाएगा।
सभी कॉलेजों में खुलेगी प्रयोगशाला
सभी कृषि कॉलेजों में एक-एक प्राकृतिक कृषि आधारित प्रयोगशाला खोली जाएगी। कम से कम दो हेक्टेयर भूमि को चिह्नित किया जाएगा। यहां किसानों और अन्य हितधारकों के बीच प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन होगा।
देसी नस्ल की गायों को रखकर डेयरी स्थापना की जाएगी। गोबर से खाद तैयार होगी। स्नातक के चतुर्थ वर्ष के प्रथम सेमेस्टर में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के माध्यम से प्राकृतिक कृषि का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
अनुमति मिलते ही शुरू होंगे पीजी पाठ्यक्रम
जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि, जबलपुर, कुलसचिव, रेवा सिंह सिसोदिया ने कहा कि यूनिवर्सिटी की तरफ से कोशिश रहे हैं कि विद्यार्थियों के लिए एमएससी नैचुरल फार्मिंग रे ले कोर्स संचालित किया जाए।
इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार कर विश्वविद्यालयीन सक्षम समितियों और प्रमंडल से अनुमोदन के बाद शासन की सहमति के लिए दिया गया है।
यूजी-पीजी के लिए बना रहे पाठ्यक्रम
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि, ग्वालियर के पूर्व प्रभारी कुलसचिव व डीएसडब्ल्यू,डॉ. दीपक रानाडे ने कहा कि 80 पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए शासन को पांच महीने पहले भेजा था।
उधर, आईसीएआर की तरफ से प्राकृतिक खेती का स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम बनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति बना दी गई है। अगले सेमेस्टर से दोनों के लिए सिलेबस बन जाएगा। रिसर्च के लिए गाइडलाइन बनाने का काम चल रहा है।