Health News – दुनिया के लिए ये वैक्सीन बनी खतरे की घंटी- 6 महीने में ही  हुई  बेअसर, जाने 

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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कोरोना महामारी के खिलाफ इस वक्त दुनियाभर में तेजी से वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वैक्सीन लेने के बाद कोरोना का खतरा लगभग कम हो जाता है लेकिन अब नई चिंता बढ़ाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें एक नामी वैक्सीन को लेकर कहा जा रहा है कि, 6 महीने में ही इस वैक्सीन का असर कम होता जा रहा है और 80 फीसदी तक एंटीबॉडी कम हो जा रही है, जिसके बाद एक नई चिंता सताने लगी है।

दरअसल, अमेरिकी स्टडी में फाइजर टीके को लेकर यह दावा किया गया है। फाइजर टीके द्वारा बनी  कोरोना  एंटीबॉडी नर्सिंग होम के वरिष्ठ निवासियों और उनकी देखभाल करने वालों में दूसरी डोज देने के छह महीने बाद 80 प्रतिशत से अधिक कम हो गई। अमेरिका में केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी और ब्राउन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में की गई स्टडी में नर्सिंग होम के 120 निवासियों और 92 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के रक्त के नमूनों पर स्टडी किया।

स्टडी करने वालों ने विशेष रूप से ह्यूमरल इम्यूनिटी को देखा, जिसे एंटीबॉडी-मध्यस्थता प्रतिरक्षा भी कहा जाता है, ताकि सार्स सीओवी2 वायरस के खिलाफ शरीर की सुरक्षा को मापा जा सके, जिससे कोरोना होता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि, इसे प्रीप्रिंट सर्वर मेड आर्काइव पर पोस्ट किया गया है। अध्ययन के अनुसार इससे पता चला है कि, छह महीने के बाद व्यक्तियों के एंटीबॉडी का स्तर 80 प्रतिशत से अधिक कम हो गया। जो काफी चिंता का विषय है।

रिसर्चरों के मुताबिक, 76 वर्ष की औसत आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों और 48 वर्ष की औसत आयु वाले देखभाल करने वालों में परिणाम समान थे। केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड कैनेडे ने कहा है कि, टीकाकरण के छह माह बाद इन नर्सिंग होम के 70 फीसदी निवासियों के रक्त में कोरोना वायरस संक्रमण को बेअसर करने की क्षमता बहुत कम थी। उन्होंने कहा कि, परिणाम रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र की बूस्टर खुराक लेने की सिफारिश का समर्थन करते हैं, खासकर बुजुर्गों के लिए।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।