* डमी एड्मिशन का गोरख धंधा- स्कूल कोचिंगों की मिलीभगत से हो रहा छात्रों का जीवन ख़राब . * प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा नीति का बंटाधार कर रहे स्कूल और कोचिंग संस्थान. * शिक्षा विभाग पिछले दशकों से चुप्पी साधे बैठा है. * मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री सीएम राइस स्कूल का सपना लिए बैठे हैं वही उनकी नाक के नीचे कोचिंगों की मिलीभगत से सीबीएसई और एमपी बोर्ड के दर्जनों स्कूल डमी प्रवेश देकर नियमों को रख रहे हैं ताक पर. * सिर्फ इंदौर में 4 हजार करोड़ से ज्यादा का है कोचिंग इंडस्ट्री का धंधा, पूरे मप्र. में यह आंकड़ा तक़रीबन 15 हजार करोड़ का है.
डॉ देवेंद्र मालवीय 982762204
Indore News in Hindi। सदभावना पाती अखबार अपने पत्रकारिता केसिद्धांतों से ‘डमी एडमिशन’ के गोरखधंधे को बंद करवाने की मुहीम के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है। स्टिंग ऑपरेशन ‘डमी एडमिशन’ में किस तरह कोचिंग और स्कूल डमी एडमिशन के नाम पर लाखों छात्रों के भविष्य को अन्धकार में धकेल कर हजारों करोड़ों रुपए कमाकर, सारे नियमों को ताक पर रख रहे हैं। इसके खुलासे लगातार जारी है।
हमारे पहले खुलासे में आपने इंदौर के केटेलाईजर कोचिंग और पायोनियर कान्वेंट स्कूल का सच जाना, वहीं दूसरे खुलासे में आपने आयाम करियर इंस्टिट्यूट और सीतादेवी स्कूल के भांडाफोड़ को समझा। स्टिंग ऑपरेशन के पार्ट 3 में आपके सामने है इंदौर के स्कालर्स यार्ड स्कूल और नारायणा कोचिंग सेंटर का डमी एडमिशन फर्जीवाडा।
शासन से सीधा सवाल – क्या इन पर कार्रवाई होगी? यदि हाँ, तो कब?
नारायणा कोचिंग इंदौर
हमारे रिपोर्टर इंदौर के गीताभवन क्षेत्र स्थित नारायणा कोचिंग पहुंचे जिसका नाम तो भगवान के नाम पर है पर हजारों छात्रों के भविष्य को अँधेरे में धकेलकर काम दानवों का कर रहे हैं। यहाँ के लोग बिना किसी डर से खुलेआम ‘डमी एडमिशन’ की बात कर रहे है।
रिपोर्टर – डमी में क्या होता है?
कोचिंग – इसमें आपको रेगुलर स्कूल अटेंड नहीं करना होता है। प्रैक्टिकल एंड आल, मतलब आपको स्कूल नहीं जाना होता है।
रिपोर्टर – कौन कौन से स्कूल डमी करवाते है?
कोचिंग – उसकी मैं आपको लिस्ट प्रोवाइड करवा दूंगी
रिपोर्टर – उसमें से हम जिसमे चाहे करवा सकते हैं?
कोचिंग – हाँ एक्ज़ेक्टली
कोचिंग – डमी से हमारे यहां टाइमिंग होगा सुबह 10 से शाम के 8 बजे तक, अब डमी में क्या होता है। उनको स्कूल नही जाना होता, स्कूल वाले उनको कंसीडर करेंगे उनको अटेंदेंस का और प्रेक्टिकल का कोई प्रॉब्लम नहीं होगा। उनको सिर्फ एग्जाम देने के लिए जाना पड़ेगा।
रिपोर्टर – जाना जरुरी नही है?
कोचिंग – (ना में सर हिलाया)
रिपोर्टर – फॉर द इंटायर ईयर?
कोचिंग – हाँ फॉर द इंटायर ‘ईयर’, डमी का मतलब ही यही है
रिपोर्टर – हाँ तो 11th का तो मुझे पता था नहीं जाना होता, पर 12th का मुझे लगा शायद
कोचिंग – नहीं नहीं, एक्चुअली 12th में भी नहीं जाना होता, बस एग्जाम देने जाना होता है
रिपोर्टर – टर्म्स एग्जाम जो चलती है इनका क्या करे जो 6 मंथ में होती हैं?
कोचिंग – कोचिंग के बच्चे नहीं जाते
रिपोर्टर – मतलब होती नहीं है कि बच्चे नहीं जाते?
कोचिंग – जो बच्चे डमी से अपियर करते हैं वो बच्चे नहीं जाते
रिपोर्टर – मतलब बिलकुल किसी भी चीज में?
कोचिंग – किसी भी चीज के लिए नहीं, उन्हें सिर्फ एग्जाम के लिए जाना होता है बस रिपोर्टर – और अटेंडेंस का फिर?
कोचिंग – उसी का तो मतलब है डमी का मेम, क्योंकि फोकस्ड होके NEET या JEE पर कंसंट्रेट कर सके
रिपोर्टर – स्कूल वाले इसको कंसिडर कर रहे हैं कि स्कूल मत आओ?
कोचिंग – आज कल ट्रेंड ही यही है. मतलब रेयरली, लाइक हार्डली 10% बच्चा है जो रेगुलर कर रहा है, बहुत दिनों बाद कल एक बच्चा आया था कि फ्रेंड्स रेगुलर कर रहे थे तो उसे भी करना था, मोस्टली डमी से ही करते हैं बच्चे
रिपोर्टर – एग्जाम में फिर वो पढेंगें कैसे? पास कैसे होंगे?
कोचिंग – तो मेम इसमें 11th, 12th तो हम ही करवाएँगे ना, एक्चुली बोर्ड एग्जाम में बोर्ड का भी हम करवाएँगे
रिपोर्टर – अच्छा मुझे एक चीज समझ नहीं आई, जब कोर्स कोचिंग में पढ़ाते हैं तो स्कूल में टीचर्स रहते हैं कि नहीं रहते?
कोचिंग – ये जो सिर्फ बेसिकली नीट और जेईई पर फोकस्ड है. अब देखिये प्रेक्टिकल में कितना टाइम लगता है, उसमें फाइल्स भी बनाएंगे, फिर प्रोजेक्ट भी बनाएंगे, फिर इंटरनल्स भी हैं, अब उसमे करेंगे तो यहाँ पर टाइम नहीं दे पाएंगे, तो या तो ये कर लें या फोकस्ड होकर. अच्छा जो डमी रहते हैं उनको ड्रॉप नहीं लेना पड़ता है क्योंकि यहाँ 2 साल है न, उन्होंने11th में भी पढ़ लिया और 12th में भी तो 2 साल का प्रिपरेशन हो गया आपके पास
रिपोर्टर – डमी स्कूल में जाना पड़ेगा हमें एडमिशन के लिए?
कोचिंग – हाँ जाना तो पड़ेगा, फॉर्मेलिटी तो करनी पड़ेगी
रिपोर्टर – फॉर्मेलिटी तो कर देंगे। आपके रेफरेंस से हम वहां जाएंगे?
कोचिंग – हाँ हम आपको लिस्ट दे देंगें (डमी स्कूल की), वैसे ऑलरेडी उन लोगों को पता ही होता है, नाम बता देना बस कि वहां से आए हैं
रिपोर्टर – एक कौन सा स्कूल बताया था आपने?
कोचिंग – स्कूल यहाँ लिस्ट है
Indore News – स्कालर्स यार्ड स्कूल इंदौर
अनेक कोचिंग के बताने के बाद हमारे रिपोर्टर पहुंचे स्कालर्स यार्ड स्कूल। यहाँ का सीन ही अलग था। काउंसलर बहुत ही तेज और बातूनी था. हालांकि उसको हमारे सीक्रेट केमरे पर शक हो गया था फिर भी एडमिशन के लालच में घुमा फिराकर बात करता रहा।
रिपोर्टर – आप मुझे स्कूल का बता दीजिए, फीस वगैरह का और इसके डॉक्यूमेंट क्या क्या लगेंगे और कब तक जमा करना है?
स्कूल – उसकी टीसी लगेगी बच्चे की
रिपोर्टर – सर डमी में टीसी की जरूरत होती है?
स्कूल – स्कूल में एडमिशन हो रहा ना, रेगुलर रहेगा बच्चा, बस ये है कि स्कूल में बैठेगा नहीं। अपनी पढ़ाई करेगा लेकिन रेगुलर रहेगा ना स्कूल में
रिपोर्टर – और फिर उसकी अटेंडेंस?
स्कूल – अटेंडेंस वटेंडेंस तो सब….?
रिपोर्टर – उसकी मार्कशीट जो आएगी उस पर कहीं प्राइवेट वगैरह तो नहीं लिखा रहेगा?
स्कूल – नहीं नहीं, अरे कैसे लिखा रहेगा, रेगुलर रहेगा बच्चा हमारे यहाँ
रिपोर्टर – मतलब वो नहीं आ रहा है इसकी जानकारी किसी को होगी तो नहीं?
स्कूल – ऐसा कुछ भी नहीं है
रिपोर्टर – हमारे टाइम पर ऐसा कुछ होता नहीं था
स्कूल – रेगुलर रहेगा बच्चा, यहाँ पर उसकी अटेंडेंस लगेगी सबकुछ रहेगी, इसकी केवल एक ही प्रोसेस है, या तो बच्चा रेगुलर है या प्राइवेट है
रिपोर्टर – अच्छा, तो फिर डमी क्या चीज है?
स्कूल – डमी का केवल इतना सा मतलब है कि बच्चा रेगुलर स्कूल नहीं आएगा, स्कूल में उसका नाम रहेगा और वो मात्र एग्जाम देने आएगा
रिपोर्टर – इसका मार्कशीट पर कोई इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा?
स्कूल – नहीं, मार्कशीट पर कोई इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा
रिपोर्टर – उसको कितनी बार आना रहेगा, जैसे एग्जाम में और ….?
स्कूल – देखिये रहता क्या है कि अभी जो इंटरनल एग्जाम है, क्वाटर्ली एग्जाम है, 6 मंथली एग्जाम है वो उसको फेस करनी पड़ेगी। उसके बाद प्रेक्टिकल एग्जाम है वो, मतलब आपको आना नहीं है लेकिन स्कूल के बारे में फॉर्मेलिटी पूरी कम्पलीट करनी है। प्रेक्टिकल, असाइनमेंट वगैरह वो भी तैयार करने पड़ेंगें। हम भी शिक्षा विभाग से जुड़े हुए हैं। अगर कोई चेक करने आता कि तुम्हारे पास ये बच्चा है तो क्या रिकार्ड है? तो हम बता सकते हैं कि ये इसकी प्रैक्टिकल फाइल है.
स्कूल – तो आप डमी चाहते हैं या रेगुलर?
रिपोर्टर – सर अगर कोचिंग 6-7 घंटे जाएगा तो कैसे करेगा बच्चा स्कूल में. डमी की ही बात कर रहे है
रिपोर्टर – कुछ दिक्कत आएगी क्या, ऐसा है तो इन्फॉर्म कर देना
स्कूल – नहीं नहीं, दिक्कत कुछ नहीं आएगी पर पहले आपको यही बताया कि 2-3 बार तो बच्चे को आना पड़ेगा यहाँ पर
क्या कहते हैं जवाबदार - छात्र दूर दूर से आते है हम उनकी सुविधा के लिए ऐसे स्कूलों की लिस्ट उपलब्ध करवा देते है - सचिन, ब्रांच मैनेजर नारायणा कोचिंग स्कालर्स यार्ड स्कूल की वेबसाइट पर उपलब्ध नंबर पर संपर्क करने पर किसी राहुल ने स्कूल मालिक से बात करवाने का आश्वासन दिया परन्तु कोई बात नहीं करवाई.