किसान मजदूर महासंघ की राष्ट्रीय बैठक भोपाल में, 101 दिन की मध्य प्रदेश में यात्रा निकालेंगे कक्का जी

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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MP News in Hindi। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किसान मजदूर महासंघ की राष्ट्रीय बैठक चल रही है। बैठक में आरोप लगाया गया है,कि किसी भी दल की सरकार रही हो। सभी ने किसानों के साथ अन्याय किया है। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं की गई है। लागत मूल्य निरंतर बढ़ता जा रहा है।
लागत मूल्य के हिसाब से किसानों को उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं। किसानों को न्यूनतम लागत भी नहीं दी जा रही है। सरकार एमएसपी कानून को लागू नहीं कर रही है। इसके विरोध में किसान मजदूर महासंघ सभी राज्यों में किसानों के बीच जाकर उन्हें हकीकत से रूबरू कराएगा।
 मध्यप्रदेश में 101 दिन की यात्रा
राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने घोषणा की है, कि वह मध्यप्रदेश में 101 दिन की यात्रा, किसानों के बीच करेंगे। वह सरकारों की असलियत का खुलासा किसानों के बीच कर,उन्हें एकजुट करेंगे। उन्होंने कहा सरकारें किसानों की चिंता नहीं करती हैं। वह कारपोरेट के हिसाब से नीतियां बनाती हैं। जो किसानों और देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
 गुजरात मॉडल की हकीकत
महासंघ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष जेके पटेल ने कहा देश में गुजरात मॉडल की बड़ी चर्चा हुई थी। लेकिन इसकी हकीकत ठीक उसके विपरीत है। गुजरात मॉडल का मतलब है, किसी को बोलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अभी भी नहीं संभले, तो देश मे गुजरात मॉडल लागू होने पर बोलने की आजादी भी नहीं रहेगी। प्रदर्शन करने की बात तो बहुत दूर की है। सभी को सावधान होने की जरूरत है।
कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल
किसान मजदूर महासंघ की बैठक में कई राज्यों के पदाधिकारी शामिल हुए। महाराष्ट्र के शंकर दरेगा ने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों के कई संगठन है। लेकिन सभी का जुड़ाव किसी ना किसी राजनीतिक दल के साथ है। किसान मजदूर महासंघ एक ऐसा संगठन है,जिसका किसी भी राजनीतिक दल के साथ जुड़ाव नहीं है। यह संगठन केवल किसानों के हित की बात करता है।
केरल से आए जोहन जोसेफ ने कहा कि किसानों का यह आंदोलन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की एकाधिकार के खिलाफ है। इसका किसानों को एकजुट होकर विरोध करना पड़ेगा।
 कश्मीर से आए तनवीर अहमद ने कहा,कश्मीर घाटी के नागरिकों और किसानों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। हमारे यहां खेती का तरीका और खेती के उत्पाद अलग-अलग हैं। सरकारों ने आज तक इस और कोई भी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमारे यहां यदि फसल नष्ट हो जाती है, तो एक पीढ़ी का नुकसान हो जाता है। कश्मीर में सेब की फसल ज्यादा होती है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस ओर जरा भी ध्यान नहीं देती है।
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