अवैध कॉलोनियां बनी तो अब अफसर होंगे जिम्मेदार
भोपाल। मप्र में सरकार ने दिसंबर 2022 तक की सभी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे प्रदेश के उन लाखों लोगों को राहत मिल रही है,जो अभी तक सड़क, बिजली, पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे है। गौरतलब है कि पूर्व में सरकार ने दिसंबर 2016 तक की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके तहत राज्य के 413 नगरीय निकायों में से 162 निकाय ऐसे हैं, जिनमें सारी कॉलोनियां वैध हैं।
गौरतलब है कि चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मई को अवैध कॉलोनी में रहने वाले लाखों लोगों को साधने के लिए बड़ा ऐलान किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब दिसंबर 2022 तक की सभी अवैध कॉलोनियों वैध होगी। हमें लोगों की जिंदगी बनानी है। यदि अब कोई अवैध कॉलोनी कटी तो उसके लिए अधिकारी जिम्मेदार होंगे। बता दें दिसंबर 2016 तक 6077 अवैध कॉलोनी वैध होगी। वहीं, दिसंबर 2022 तक इसमें अब करीब ढाई हजार कॉलोनी और वैध हो जाएगी। इससे इन कॉलोनी में रहने वाले लोगों को सुविधाएं मिलेगी।
ग्वालियर में सबसे अधिक अवैध कॉलोनियां
सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की जो प्रक्रिया शुरू की है, उसके तरह जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौकानें वाले हैं। प्रदेश के दो बड़े शहर भोपाल और इंदौर अवैध कॉलोनियों के मामले में दूसरे नगर निगमों से पिछड़ गए हैं। महानगरों का आकार ले रहे इन दोनों शहरों से ज्यादा अनाधिकृत कॉलोनियां खंडवा, ग्वालियर जैसे नगरीय निकायों में हैं। इतना ही नहीं, राज्य के 162 निकाय ऐसे हैं, जिनमें सारी कॉलोनियां वैध हैं।
सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की जो प्रक्रिया शुरू की है, उसके तरह जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौकानें वाले हैं। प्रदेश के दो बड़े शहर भोपाल और इंदौर अवैध कॉलोनियों के मामले में दूसरे नगर निगमों से पिछड़ गए हैं। महानगरों का आकार ले रहे इन दोनों शहरों से ज्यादा अनाधिकृत कॉलोनियां खंडवा, ग्वालियर जैसे नगरीय निकायों में हैं। इतना ही नहीं, राज्य के 162 निकाय ऐसे हैं, जिनमें सारी कॉलोनियां वैध हैं।
दरअसल, राज्य के 413 नगरीय निकायों में 31 दिसंबर, 2016 तक अस्तित्व में आ चुकी अनाधिकृत कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया की जा रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के मुताबिक 16 नगर निगमों में सर्वाधिक अवैध कॉलोनियां ग्वालियर में हैं। वहां 429 अवैध कॉलोनियां चिन्हांकित की गई हैं।
इसके बाद खंडवा का नंबर आता है। खंडवा में ऐसी 338 कॉलोनियां हैं। वहीं भोपाल में इनकी संख्या 320 और इंदौर में महज 196 है। सागर, रीवा, मुरैना, सिंगरौली, कटनी, रतलाम, देवास, उज्जैन और बुरहानपुर में आंकड़ा 100 से भी कम है। सबसे कम अवैध कॉलोनियां सिंगरौली नगर निगम क्षेत्र में हैं। वहां केवल नौ कॉलोनी है। इसके बाद 30 कॉलोनियों के साथ मुरैना का स्थान है।
भोपाल में 238 कॉलोनियां हुई वैध
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल मई में 31 दिसंबर, 2022 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। कहा था कि छोटे प्लॉट पर निर्मित मकान को जैसा है वैसा ही स्वीकार किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक इसका फायदा प्रदेश की करीब 2500 कॉलोनियों के लाखों रहवासियों को मिलेगा। अमृत, विधायक निधि समेत अन्य संसाधनों से इनमें बुनियादी विकास कार्य कराए जाएंगे। फिलहाल निकायों में ऐसी कॉलोनियों को चिन्हांकित कर नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल मई में 31 दिसंबर, 2022 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। कहा था कि छोटे प्लॉट पर निर्मित मकान को जैसा है वैसा ही स्वीकार किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक इसका फायदा प्रदेश की करीब 2500 कॉलोनियों के लाखों रहवासियों को मिलेगा। अमृत, विधायक निधि समेत अन्य संसाधनों से इनमें बुनियादी विकास कार्य कराए जाएंगे। फिलहाल निकायों में ऐसी कॉलोनियों को चिन्हांकित कर नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है।
प्रदेश में 16 नगर निगम है। फिलहाल 11 में वैध की गई कॉलोनियों में बिल्डिंग परमिशन मिलने लगी है। राजधानी की 320 अनाधिकृत कॉलोनियों में से 238 को वैध करने की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। नगर निगम इनमें 170 से अधिक बिल्डिंग परमिशन भी जारी कर चुका है। इंदौर में 100 कॉलोनियों की वैध कर 65, उज्जैन की 33 में 100, खंडवा की 40 कॉलोनी में दस भवन अनुज्ञा. देवास की 95 में दो, रतलाम की 51 में 25, कटनी की 76 कॉलोनी में 17, ग्वालियर की 169 में नौ, मुरैना की तीन कॉलोनियों में 3 रीवा की 40 में दस और सतना की 137 कॉलोनियों में 21 से अधिक बिल्डिंग परमिशन दी जा चुकी है।
इस तरह नगर निगमों की 1149 अवैध बसाहट नियमित हो चुकी है। अधिकारियों को 251 निकायों की 6077 कॉलोनियों को 30 जून तक वैध करने का टारगेट दिया गया था। हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया। कुछ निकायों में यह प्रक्रिया चल रही है।