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मेड इन इंडिया भरोस अब एंड्रॉयड को देगा जोरदार टक्कर केंद्रीय मंत्री ने दी हरी झंडी

अब एक नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की हुई एंट्री
BharOS operating system।  पिछले कुछ साल में भारत लगभग हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा चुका है और अब एक नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की एंट्री हो गई है। यानी कि फोन में एंड्रॉयड और आईओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करने के बजाय अब मेड इन इंडिया सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाएगा।
लंबे वक्त से चर्चा में चल रहे इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम भरोस  रखा गया है और सरकार ने इसे हरी झंडी दे दी है। भारत के स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस  की सफल टेस्टिंग आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से की गई और उन्होंने एक वीडियो कॉल का हिस्सा बनते हुए इसे हरी झंडी दिखाई।
बता दें कि यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम आईआईटी मद्रास से जुड़ी एजेंसी ने तैयार किया है और इसे किसी भी ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) की ओर से मोबाइल डिवाइसेज का हिस्सा बनाया जा सकेगा।
नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस  को आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर जैंडेक ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। दावा है कि इसे आराम से किसी भी कॉमर्शियल हैंडसेट में इस्तेमाल किया जा सकता है। डेवलपर्स की मानें तो इस ओएस की मदद से यूजर्स को बेहतर प्राइवेसी और सुरक्षा फोन इस्तेमाल करने के दौरान मिलेगी। फीचर्स के मामले में यह एंड्रॉयड को सीधी टक्कर दे सकता है।
 स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को जो बात बेहतर बनाती है वह इसका नो डिफॉल्ट ऐप्स (एनडीए) बिहेवियर है यानी कि इसमें एंड्रॉयड के बजाय ज्यादा स्टोरेज स्पेस मिलेगा और पहले से ढेरों ऐप्स फोन में इंस्टॉल्ड नहीं होंगी। यानी कि यूजर्स को कोई ऐसी ऐप फोन में रखने या इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा जिसे वह इस्तेमाल नहीं करना चाहता। इसके मुकाबले एंड्रॉयड फोन्स में पहले से ढेरों ऐप्स इंस्टॉल्ड मिलती हैं।
डेवलपर्स ने बताया है कि भरोस  को नेटिव ओवर द एयर (ओटीए) अपडेट्स दिए जाएंगे। यानी कि बिना किसी तरह की लंबी प्रक्रिया से गुजरे लेटेस्ट सॉफ्टवेयर वर्जन अपने-आप फोन में इंस्टॉल हो जाएगा। इस ओएस में प्राइवेट ऐप स्टोर सर्विजेस (पास) के साथ भरोसेमंद ऐप्स इंस्टॉल की जा सकेंगी और तय किया जाएगा कि यह मालवेयर या ऐसे खतरों से पूरी तरह सुरक्षित रहे। हालांकि शुरू में भरोस  का इस्तेमाल केवल वही एजेंसियां करेंगी जिन्हें बेहतर प्राइवेसी की जरूरत है।
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