MP News – हे नारायण… गौ माता की रक्षा करें – लंपी वायरस से 100 से ज्यादा मवेशियों की मौत

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

सीएम बोले गाय को मां मानते हैं उसे बचाना हमारा कर्तव्य

मध्यप्रदेश के 26 से ज्यादा जिलों में लंपी वायरस का संक्रमण फैल चुका है। इसके चलते आठ हजार के करीब मवेशी अब तक संक्रमित हो चुके हैं। 100 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को गौपालकों और पशुपालकों के नाम संदेश जारी किया। सीएम ने कहा कि हमारे पशुधन पर लंपी वायरस की बीमारी के रूप में गंभीर संकट आया है।

प्रदेश में लंपी वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। हम अपने पशुओं को विशेषकर गौमाता को मां मानकर पूजा करते हैं। गोमाता या बाकी पशु हमारी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने का काम करते हैं। आज जब वह संकट में हैं तो हमारा कर्तव्य है कि इस संकट से उन्हें निकालने के लिए भरपूर प्रयास करें। इस संकट में आप अकेले नहीं है। सरकार आपके साथ है। सरकार आपको पूरा सहयोग करेगी। इस बीमारी का टीका भी हम फ्री में लगा रहे हैं।

सीएम ने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। लेकिन सावधानी आपको भी रखी होगी। यदि आपने सावधानी नहीं रखी तो हमारा पशुधन गंभीर संकट में आएगा। हम वैसे भी जो चेतना मनुष्य में है, वही प्राणियों में देखते हैं। इस बीमारी को रोकने के लिए तत्काल इसके रोग के लक्षण पहचाने और इलाज शुरू करें। साथ ही संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए। सीएम ने कहा कि जिस प्रकार कोविड से इंसानों को बचाने के लिए हमने लड़ाई लड़ी थी, वैसे ही हमारे गौवंश को बचाने के लिए हमें लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

 रोग के प्रमुख लक्षण
संक्रमित पशु को हल्का बुखार होना।
मुंह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना।
लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन एवं दूग्ध उत्पादन में गिरावट।
गर्भित पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना।
पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना।

रोकथाम और बचाव के उपाय
संक्रमित पशु / पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना।
कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करना।
पशुओं के आवास- बाड़े की साफ सफाई रखना।
संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना
रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराना।
क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोकना।

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।