MP News – व्यापम मामला : सीबीआई कोर्ट ने 3 लोगों को 5 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

मध्य प्रदेश की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को व्यापम से संबंधित एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने के लिए धोखाधड़ी के एक मामले में पांच लोगों को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
कोर्ट ने दिलीप कन्नोजे (अभ्यर्थी) दो बिचौलियों हृदेश राजपूत मनीष राजपूत को सजा सुनाई उन पर जुर्माना भी लगाया। यह मामला शुरू में ग्वालियर के झांसी रोड थाने में दर्ज किया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।
मामला फर्जी अभ्यर्थी के जरिए पीएमटी, 2009 परीक्षा में फर्जी तरीके से दाखिले से जुड़ा है। आरोपी उम्मीदवार दिलीप कन्नोजे ने पीएमटी 2009 की परीक्षा में अपनी ओर से शामिल होने के लिए एक व्यक्ति को काम पर रखा था। फिर उसने अपना प्रवेशपत्र गढ़ा दूसरे व्यक्ति को परीक्षा में शामिल किया।
आरएएसए शीट प्रवेश फॉर्म के आधार पर उपस्थित होने वाले अभ्यर्थी की तस्वीर हस्ताक्षर कथित तौर पर अलग थे। निरीक्षकों ने इसका पता लगाया आरोपी को पकड़ लिया गया।
पुलिस ने जुलाई 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान सीबीआई ने फरार आरोपितों से पूछताछ की। उम्मीदवार दिलीप कन्नोजे के नमूना हस्तलेख ओएमआर के साथ सीएफएसएल को भेजे गए थे।
विशेषज्ञ ने स्थापित किया कि आरोपी (अभ्यर्थी) की लिखावट हस्ताक्षर का नमूना ओएमआर शीट आरएएसए शीट पर उपलब्ध हस्तलेखन हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते।
सीबीआई ने पाया कि अभ्यर्थी दिलीप कन्नोजे पीएमटी 2009 की लिखित परीक्षा में खुद शामिल नहीं हुआ था, फिर भी उसका चयन कर लिया गया बाद में मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले अन्य लोगों के साथ अनुचित तरीके अपनाकर प्रवेश लिया।
सीबीआई ने गहन जांच के बाद सक्षम न्यायालय, ग्वालियर में आरोपपत्र दाखिल किया। निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी पाया उन्हें पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ सदभावना पाती टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।