दुर्गा सप्तशती का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला और बहुत ही शुभफल प्रदान करने वाला है। नवरात्रि के दिनों में इस पाठ का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। दुर्गा यानि दुर्ग या किला सप्तशती अर्थात् सात सौ यानि जिसमें सात सौ मंत्रों को समाहित किया गया हो। दुर्गा सप्तशती का पाठ तीन चरणों और तेरह अध्यायों में विभाजित है। इस पाठ को करने से मां दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है। लेकिन इस पाठ को करते समय कुछ सावधानियां बरतना भी आवश्यक होती हैं। अन्यथा आपको नुकसान भी हो सकता है। जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धता का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। इसलिए स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करें।
बैठने के स्थान और पूरे कमरे को भी अच्छी तरह से स्वच्छ कर लें। यदि आपका हाथ आपके पांव को छू जाता है तो पहले अपने हाथों को जल से धो लें तत्पश्चात ही पुस्तक को स्पर्श करें।दुर्गा सप्तशती के पाठ का स्पष्ट और लयवद्ध उच्चारण करने का महत्व माना गया है ताकि सुनने में भी स्पष्ट सुनाई दे। दुर्गा सप्तशती के हर एक शब्द का उच्चारण बहुत ही ध्यान से करें। रामायण काल में जब रावण ने मां दुर्गा का यज्ञ किया तो हनुमान जी ने ”ह” के स्थान पर ”क” कहलवा दिया था। जिसके कारण रावण नें ‘हरणी” के स्थान पर ”करणी” का उच्चारण कर दिया था परिणाम स्वरुप रावण को उसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ा।
दुर्गासप्तशती का पाठ करते समय ब्रह्मचार्य का पालन करना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि तन की स्वच्छता के साथ मन की स्वच्छता होना भी आवश्यक है। मासिक धर्म के चक्र के समय दुर्गासप्तशती के पाठ की पुस्तक या किसी भी पूजा सामाग्री को स्पर्श नहीं करना चाहिए। ऐसा मान्यताएं कहती हैं।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि पर कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं। और अपने भक्तों की हर इच्छा को पूर्ण करती हैं। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन करने से सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कन्या पूजन से पहले हवन करवाने का प्रावधान होती है मां हवन कराने और कन्या पूजन करने से अपनी कृपा दृष्टि बरसाती हैं।
नवरात्रि पर कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं। और अपने भक्तों की हर इच्छा को पूर्ण करती हैं। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन करने से सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कन्या पूजन से पहले हवन करवाने का प्रावधान होती है मां हवन कराने और कन्या पूजन करने से अपनी कृपा दृष्टि बरसाती हैं।
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