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कांग्रेस नेतृत्व की नहीं कर सकेगा कोई आलोचना, पार्टी मांग रही हलफनामा

National News. 2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस अंदरूनी स्तर पर अपने ही नेताओं की आलोचना झेल रही है. खासकर जी-23 समूह  ने तो कांग्रेस आलाकमान को ही निशाने पर ले रखा है. हालांकि ऐसा लगता है कि सार्वजनिक मंचों पर पार्टी नेताओं की आलोचना झेलने के बाद कांग्रेस ने इसकी काट ढूंढ ली है. काट यह है कि अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेने वालों को हलफनामा देना होगा कि वह सार्वजनिक मंचों पर कभी भी पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करेंगे. यह तब है जब पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए अपनी पार्टी के लोकतांत्रिक स्वरूप का बखान करते नजर आते हैं.

जी-23 समूह की आलोचना से सीखा सबक

गौरतलब है कि जी -23 के मुखर नेता कपिल सिब्बल ने सितंबर में कहा था कि पार्टी के नेता इस बात से अनजान हैं कि पार्टी में कौन निर्णय ले रहा है, क्योंकि कोई अध्यक्ष नहीं है. उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है, इसलिए हमें नहीं पता कि ये फैसले कौन ले रहा है. हम जानते हैं फिर भी अभी तक नहीं जानते. दूसरी ओर गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक आहूत करने की मांग की थी. इसके बाद बुलाई गई बैठक से पहले जी-23 नेताओं ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों, केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्यों संसदीय बोर्ड चुनावों के लिए चुनाव की मांग की थी.

नए सदस्यता फॉर्म में हैं भी कई शर्तें
यही नहीं, कांग्रेस पार्टी के सदस्यता संबंधी आवेदन-पत्र में भी कईं शर्तें शामिल की गई हैं. इसके अनुसार कांग्रेस की सदस्यता ले रहे लोगों को यह घोषणा करनी होगी कि वह कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं रखेंगे. कांग्रेस की नीतियों कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक श्रम जमीनी मेहनत करने से कतई नहीं हिचकिचाएंगे. पार्टी ने एक नवंबर से आरंभ हो रहे सदस्यता अभियान के लिए तैयार आवेदन-पत्र में 10 ऐसे बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिसके बारे में सदस्य बनने के इच्छुक लोगों को अपनी स्वीकृति स्वरूप एक तरह से हलफनामा देना होगा.

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