अब लिव इन में रहने वाली महिलाएं नहीं करा सकेंगी दुष्कर्म का केस दर्ज- एमपी पुलिस

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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MP News in Hindi। लगातार सामने आ रहे महिला अपराधों के मामले में दर्ज हो रही फर्जी शिकायतों का हल निकालते हुए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एक बड़ा आदेश जारी किया गया है। जारी आदेश के तहत अब से मध्य प्रदेश में लिव इन रिलेशन में रह रही महिलाएं अपनी शिकायत में सीधे तौर पर दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं करा सकेंगी। शिकायत मिलने पर पुलिस पहले दोनों के बीच में मध्यस्थता करेगी। पार्टनर का भी पक्ष सुना जाएगा। महिला का पक्ष सही पाए जाने के बाद ही पुरुष के खिलाफ मामला दर्ज हो सकेगा।
बता दें कि, इस संबंध में एमपी पुलिस ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिये हैं। हालांकि, निर्देश सिर्फ उन मामलों के लिए हैं, जिनमें लिव-इन पार्टनर बालिग हैं या होंगे। महिला सुरक्षा शाखा ने पिछले तीन वर्षों में दर्ज हुए दुष्कर्म के मामलों में मिला सजा का अध्ययन किया है। मामले में अपराधियों को सजा की दर सिर्फ 30-35 फीसदी पाई गई है। महिलाओं के बयान पर पलटने से कई बार आरोपी बच जाते हैं। इससे पुलिस प्रशासन की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है।
गृहमंत्री ने कही ये बात
वहीं, इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि, ऐसे केस को लेकर पूरा डिटेल हमारे पास आ चुका है। ज्यादातर मामलों में कुछ गलतियां पाई जाती है। इनमें से अधिकतर मामलों में संदिग्ध पलट जाते हैं या बयान बदल दिए जाते हैं।
अब तय किया गया है कि, पहले पूरे मामले की तहकीकात होगी। पूरे मामले की तह तक जाने के बाद ही अब कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद देशभर में मध्य प्रदेश संभवत: पहला ऐसा राज्य होगा, जहां लिव इन में रहने वालों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।

70 से 80 फीसदी महिलाएं पलट जाती हैं बयान से

दरअसल, मध्यप्रदेश में बढ़ते रेप के आंकड़ों को देखते हुए महिला सुरक्षा शाखा ने पिछले तीन सालों के रेप केसों और उनमें सजा दर का अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि अपराधियों को सजा की दर केवल 30-35 प्रतिशत ही है। जिन मामलों में अपराधी को सजा नहीं मिलती, उनमें पाया गया कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में फरियादी अपने बयान बदल देती हैं या आरोपी से समझौता कर लेती है।
इनमें से ज्यादातर मामले वो है जिनमें फरियादी लिव-इन रिलेशनशिप में थी या आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। अगस्त में मप्र के सभी जिला न्यायालयों में कुल 392 मामलों में फैसला आया। इसमें केवल 99 मामलों यानी 25.26 प्रतिशत में ही सजा हुई, जबकि 293 आरोपी दोषमुक्त हुए।
10 जिले ऐसे है, जहां सभी मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो गए। पुलिस हेडक्वार्टर ने सभी जिलों उन मामलों की समीक्षा करने को कहा है, जिनमे आरोपियों को सजा नहीं मिली है। अगर लंबे समय से महिला-पुरुष साथ रह रहे हैं और बाद में उनके रिश्ते खराब हो जाते हैं, तो ऐसे में बलात्कार का आरोप लगाना सही नहीं है। कई बार ये भी आरोप लगाया जाता है कि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए गए, ऐसे में पुरुष के खिलाफ दुष्कर्म का केस नहीं बनता।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।