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रुदाखया गांव में बंदरों का आतंक, लोग दहशत में

देपालपुर गांव रूदाखया में ग्रामीण बंदरों के आतंक से परेशान हैं। बन्दर जहां ग्रामीणों को नुकसान पहुंचा रहे हैं वहीं लोगों पर भी हमला कर रहे हैं।क्षेत्र में लगातार बढ़ रही बंदरों की संख्या लोगों के लिये जी का जंजाल बनी हुई है। बंदरों के आतंक से जनता व गाँव के लोग परेशान हैं। समाज सेवा नौशाद पटेल ने बताया की गाड़ियों के कांच भी फोड दिये है और बच्चों को भी काट रहे हैं और फसलें भी खराब कर दी है जिससे लोगों में डर का माहौल बन चुका है खेतो मे बंदर ग्रामीणों पर हमला भी कर रहे हैं। बंदरों के हमले से पूर्व सरपंच शौकत पटेल ने बंदरों के आंतक से निजात दिलाने के लिए वन-विभाग को अवगत भी कराया लेकिन बंदर ज्यादा होने से सफलता हाथ नही लगी बंदरों के आतंक से अकेली बाहर नहीं निकलतीं इस गांव की महिलाएं, वन विभाग तक पहुंचा केस रूदाखया गांव की महिलाओं का कहना है कि यह बंदर अक्सर उनके घर में घुसते हैं.

उनका अनाज नष्ट कर देते हैं. उनके कपड़े ले जाते हैं बच्चों को काटते हैं गिरा देते हैं और डराने पर भी डरते नहीं हैं बल्कि हमलावर हो जाते हैं. यशवंत सागर से करीब 16 किलोमीटर दूर रूदाखया गांव में बंदरों का बेहद आतंक है. आतंक ऐसा है कि महिलाएं घर से अकेली बाहर निकलने से डरती हैं. इस गांव में कोई भी महिला कई सारी महिलाओं के साथ ग्रुप बनाकर निकलतीं हैं. इसी गाँव के शाहरुख पटेल का कहना है कि वन विभाग और सीएम हेल्पलाइन पर कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. कैलाश चौधरी का कहना है कि बंदर ने 15 हजार कि एलसीडी टीवी फोड़ दी अक्सर लोगो के घर में घुसते हैं. उनका अनाज नष्ट कर देते हैं. उनके कपड़े ले जाते हैं घर की चीजों को टीवी फोड़ देते हैं और डराने पर भी डरते नहीं हैं बल्कि हमलावर हो जाते हैं. ऐसे में कभी भी कोई भी बड़ी घटना हो सकती है क्योंकि बच्चों पर और महिलाओं पर यह बंदर ज्यादा हमला करते हैं. गांव के पूर्व सरपंच शौकत पटेल का कहना है कि पिछले 2-3 साल से बंदरों ने आतंक मचाना शुरू किया है. एक बार वन विभाग की टीम दौरा करने आई थी लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी रूद्राखया ग्रामीण के दूध व्यवसाय गोकुल कच्छावा ने बताया वन विभाग की टीम 1 महीने पहले आई थी बंदरों का आतक पूरे गांव में लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. इसी गांव के आसपास करीब 50 से 100 ज्यादा बंदर हैं जो गांव में घुसकर उत्पात मचाते हैं. गांव वाले लगातार और विभाग से अपील कर रहे हैं कि वह इन बंदरों को ले जाएं

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