क्या है जूनियर डॉक्टर की मांगें और क्या है सरकार का पक्ष ? क्यों देना होंगे मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ने पर बांड के 10 से 30 लाख रुपए, समझिये पूरा मामला

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 मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JUDA) और सरकार के बीच ठन गई है. एक तरफ जहां हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर पीछे हटने के मूड में नहीं हैं, तो वहीं सरकार ने भी साफ कर दिया है कि कोरोना महामारी के वक्त में जूनियर डॉक्टर का इस तरह काम बंद करना उचित नहीं है. आखिर जूनियर डॉक्टरों की क्या है मांग और उन मांगों पर सरकार का क्या है तर्क? क्या वाकई में जूनियर डॉक्टर की मांगें जायज हैं? आइए आपको बताते हैं कि क्या है जूनियर डॉक्टर की मांगें और उन पर क्या है सरकार का पक्ष.
ज्ञात रहे की गुरुवार को इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की निंदा की. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और 24 घंटे में तत्काल हड़ताल वापस लेने का आदेश दिया था.
1. जूडा की पहली मांग : स्टाइपेंड में 24% बढ़ोत्तरी की जाए.
सरकार का तर्क : सरकार द्वारा अन्य विभागों की तरह सीपीआई के अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टाइपेंड में 17% की वृद्धि मान्य की गई है. जूनियर डॉक्टर्स की 24% की स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग अनुचित है. कोविड ड्यूटी करने के कारण अतिरिक्त पारितोषिक व वजीफे की मांग युद्ध के समय युद्धरत सैनिकों द्वारा वित्तीय मांग किया जाने जैसा है.
2. जूडा की दूसरी मांग : हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए.
सरकार का तर्क : प्राइस इंडेक्स के तहत बढ़ोत्तरी दी जाएगी, जैसा शासन के अन्य विभाग के लिए होता है.
3. जूडा की तीसरी मांग : पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए, जो इस पर विचार करके अपना फैसला जल्द से जल्द सुनाए.
सरकार का तर्क : इस मांग पर यदि शासन सहमत होता है तो ग्रामीण अंचल के गरीब व्यक्तियों को बेहतर चिकित्सीय सेवा से वंचित होना होगा.

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4. जूडा की चौथी मांग : कोविड ड्यूटी में काम कर रहे जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिले जो आगे उनको सरकारी नौकरी में फायदा दे.
सरकार का तर्क : भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार अल्पावधि के कोविड कार्य करने हेतु व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे. कोविड अथवा अन्य महामारी में सेवाएं दिया जाना किसी भी शासकीय चिकित्सक का मूल कर्तव्य है. जिसके लिए अतिरिक्त पारितोषिक और वजीफे की मांग किया जाना उचित नहीं होगा. अपने मूल कार्यों के एवज में यदि सभी विभाग अतिरिक्त सुविधा की मांग करें तो शासन कार्य कैसे कर पाएगा? अन्य विभाग जो कोविड में अति आवश्यक सेवाओं में आते हैं, उनमें किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया जा रहा है.
5.  जूडा की पांचवीं मांग :कोविड में काम कर रहे सभी जूनियर डॉक्टर और उनके परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए और उनके उपचार को प्राथमिकता दी जाए. उनका सारा इलाज फ्री ऑफ कॉस्ट कराया जाए.
सरकार का तर्क : चिकित्सकों के लिए 10% कोविड बिस्तर आरक्षित किए जाने का पत्र जारी किया जा चुका है. लेकिन उनके परिजनों को आम नागरिकों की तरह सुविधा उपलब्ध है.
6.जूडा की छठी मांग : जितने जूनियर डॉक्टर कोविड ड्यूटी में कार्यरत हैं, उनका अधिक कार्यभार देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
सरकार का तर्क : सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के स्वशासी समिति के अध्यक्ष, संभागायुक्त होते हैं. जिनके तहत संभाग में सुरक्षा एवं कानून व्यवस्थाएं संचालित होती हैं. समस्त चिकित्सा महाविद्यालयों में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस चौकी स्थापित करने का निर्देश जारी किया जा चुका है.
और इधर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी 24 घंटे में जूनियर डॉक्टर काम पर वापस नहीं आने से अब सरकार जूडा के खिलाफ एक्शन के मूड में आ गई है। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने बताया, मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ने वाले जूनियर डॉक्टर को बांड के अनुसार 10 से 30 लाख रुपए भरने होंगे। सरकार ने मेडिकल कॉलेज के डीन को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं।
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने बताया, यूजी और पीजी में नीट से सिलेक्टेड स्टूडेंट्स को मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में मैरिट के आधार पर एडमिशन के लिए सरकार द्वारा “मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 एवं संशोधन 19 जून, 2019” के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। उपरोक्त नियम की कण्डिका-15 (1) (ख) के अनुसार निर्धारित समय-सीमा के बाद अभ्यर्थी द्वारा सीट छोड़ने पर उस पर बांड की शर्तें लागू होंगी।

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