नई शिक्षा नीति 2020′ को नरेंद्र मोदी सरकार की हरी झंडी मिल गई है।, अब 4 साल के डिग्री प्रोग्राम फिर एमए के बाद छात्र सीधा कर सकेंगे पीएचडी, स्कूली शिक्षा में पूरी तरह से खत्म होगा 10+2 मतलब प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को कुल चार हिस्से में बांट दिया है। इन चार हिस्सों को 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। प्रकाश जावड़ेकर बोले-34 सालों से कोई परिवर्तन नहीं, स्कूल और कॉलेज में बदलाव, उच्च शिक्षा के लिए होगा नियामक का गठन |
इस शिक्षा नीति के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल ने जानकारी दी की यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि देशवासी इसका स्वागत करेंगे। इस नई नीति के तहत सरकार ने तय किया है कि अब 4 साल के डिग्री प्रोग्राम फिर एमए के बाद छात्र MPhill किए बिना ही सीधा पीएचडी कर सकेंगे। अमित खरे ने कहा कि हमने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है। गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गयी थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा मतलब कि प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक में बड़ा बदलाव किया है। अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 शामिल होंगे। इसे फाउंडेशन स्टेज कहा जाएगा। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की पढ़ाई होगी। इसके बाद में अगले तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं। जानें नई शिक्षा नीति से जुड़ी अहम बातें- – मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है। – केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद किया जाएगा – बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई प्रस्ताव नई एजुकेशन पॉलिसी में है। बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी। 5 कक्षा तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी। – अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा। – देश में 45,000 कॉलेज हैं। – क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा। – सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरी रंगन समिति बनाई गई थी। केंद्र सरकार ने उनके सुझावों को नई शिक्षा नीति में ध्यान रखा है। – हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा। ऐसा केंद्र सरकार का अनुमान है और इसी को ध्यान में रखकर यह पॉलिसी तैयार की जा रही है। – इस शिक्षा नीति के लिए बड़े स्तर पर सलाह ली गई। 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई है। – नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है। नई शिक्षा नीति के कुछ खास प्वाइंट्स :- -हर छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी -छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा। -शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर -वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा। -नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगी
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