IITs तैयार करेंगे Engineering Colleges का syllabus, रोजगार भी दिलाएंगे |

sadbhawnapaati
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आईआईटी तैयार करेंगे इंजीनियरिंग कॉलेजों का सिलेबस, रोजगार भी दिलाएंगे

देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों का पाठ्यक्रम अब आईआईटी तैयार करेंगे। इसके लिए वर्ष 2021 शैक्षणिक सत्र से सभी आईआईटी कम से कम 10-10 इंजीनियरिंग कॉलेज गोद लेंगे। इन कॉलेजों के कैंपस में आईआईटी एक्सटेंशन सेंटर खुलेंगे।

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मेंटर बनकर कोर्स डिजाइन, प्रोग्राम, शोध, इनोवेशन, स्टार्टअप, टीचर ट्रेनिंग व  कैंपस प्लेसमेंट पर फोकस
आईआईटी मेंटर बनकर इनकी पढ़ाई की गुणवत्ता, कोर्स डिजाइन, शोध, इनोवेशन, स्टार्टअप, शिक्षक ट्रेनिंग और कैंपस प्लेसमेंट पर काम करेंगे। आईआईटी काउंसिल की इसी हफ्ते आयोजित बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।

नए सत्र से सभी 23 आईआईटी कम से कम 10-10 इंजीनियरिंग कॉलेज लेंगे गोद, कॉलेज कैंपस में खुलेंगे एक्सटेंशन सेंटर
दरअसल, सरकार चाहती है कि सामान्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में गुणवत्तायुक्त पढ़ाई के अवसर उपलब्ध हों। छात्रों को शोध, स्टार्टअप शुरू करने और  कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा मिल सके। सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो अभी अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेजों में पासआउट होने वाले 52 फीसदी छात्रों को ही अच्छा रोजगार मिल पाता है।

सरकार इसी कमी को दूर कर हर छात्र को अवसर उपलब्ध कराना चाहती है।  कम से कम 10-10 इंजीनियरिंग कॉलेजों को गोद लेने की योजना की जिम्मेदारी आईआईटी मद्रास को सौंपी गई है। आईआईटी मद्रास नोडल एजेंसी होगा, जोकि इस योजना के लिए पूरी रूपरेखा तैयार करने के साथ मॉनिटिरिंग करेगा।

भारतीय शिक्षा आयोग में मर्ज होगा एआईसीटीई
अभी तक एआईसीटीई ही सामान्य इंजीनियरिंग कॉलेजों  में पाठय्क्रम, कोर्स, सीट से लेकर मान्यता देने पर काम करता है। हालांकि केंद्रीय बजट 2021 में ही भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन को मंजूरी दी गई है। इसमें यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई मर्ज हो जाएंगे। इसी के तहत यह योजना इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार की तैयारी है। आयोग सीधे मंत्रालय के अधीनस्थ रहेगा।

आईआईटी में 16 हजार  सीट, इंजीनियरिंग कॉलेजों में 24 लाख छात्र
हर अभिभावक अपने बच्चे को आईआईटी में दाखिला दिलवाना चाहता है पर यह संभव नहीं है। पहला आईआईटी में दाखिले के लिए जेईई एडवांस की कठिन परीक्षा पास करना बेहद मुश्किल होता है। दूसरा सभीआईआईटी में महज 16053 सीट हैं।

आईआईटी में सीट बढ़ाने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। जबकि देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 14 लाख 23हजार से अधिक सीट हैं। वहीं, डिप्लोमा में दस लाख से अधिक सीट पर दाखिले होते हैं। ऐसे में इन छात्रों को आईआईटी की तर्ज पर इंजीनियरिंग पढ़ाई मुहैया करवाने पर जोर दिया जा रहा है।  [/expander_maker]

 

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