Education News. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सूर्य नमस्कार को लेकर जारी किए गए एक सर्कुलर को लेकर बवाल मच गया है। यूजीसी ने 29 दिसंबर, 2021 75 करोड़ सूर्य नमस्कार परियोजना की घोषणा की थी। यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों और संबद्ध कॉलेजों से अपने छात्रों को इस परियोजना में भाग लेने के लिए अनुरोध किया है। यह परियोजना 1 जनवरी, 2022 से शुरू गई हुई है और यह 7 फरवरी, 2022 तक जारी रह सकती है। वहीं, 26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर तिरंगे के सामने एक संगीतमय सूर्य नमस्कार भी किया जाएगा। इस परियोजना का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है।
संविधान में नहीं है इजाजत
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सूर्य नमस्कार सूर्य पूजा का एक रूप है और इस्लाम में सूर्य को देवता के रूप में पूजा करने की अनुमति नहीं है। बोर्ड ने एक बयान जारी कर सरकार से आदेश वापस लेने को कहा है क्योंकि इसे एक धर्म को दूसरे पर थोपने के रूप में भी देखा जा रहा है। बयान में कहा गया है संविधान, हमें सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी विशेष धर्म की शिक्षाओं को पढ़ाने या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं देता है।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना है लक्ष्य
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और देश के युवाओं के बीच योगासन को एक खेल के रूप में उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनवाईएसएफ) द्वारा इस परियोजना को शुरू किया गया है। यूजीसी द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार यह परियोजना अमृत महोत्सव समारोह की स्मृति में भी होगी और 30 राज्यों, 30 हजार संस्थानों और 3 लाख छात्रों को इसमें भाग लेने के लिए कहा गया है।
एक दिन में 97 लाख से ज्यादा हुए सूर्य नमस्कार
छात्रों को कार्यक्रम की वेबसाइट पर परियोजना के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा। छात्रों को दिन में 13 बार सूर्य नमस्कार के 12 आसन करने होंगे। आयुष मंत्रालय के अनुसार 3 जनवरी, 2022 को सूर्य नमस्कारों की संख्या पहले से ही 97 लाख से अधिक थी।