मप्र। सरकारी स्कूलों में अब हिन्दी के साथ ही अन्य भाषाओं की भी शिक्षा दी जाएंगी। संभवत: मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा प्रदेश होगा, जहां हिन्दी के अलावा अन्य भाषाएँ भी पढ़ाई जाएंगी। पाठ्यक्रम में मराठी, पंजाबी, तेलगु और बंगाली समेत कई भाषाएं शामिल होंगी। यह व्यवस्था नए सत्र से शुरू करने की योजना है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने इस योजना की घोषणा थी । इसका उद्देश्य भाषाई भेदभाव को खत्म करने और बच्चों को हर भाषा का ज्ञान देने का है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत चिन्हित स्कूलों में शुरुआत होगी। किस स्कूल में कौन सी भाषा होगी, यह वैकल्पिक होगी जरूरी इसका फैसला अभी नहीं ह पाया है। बताया जाता है कि सबसे सीएम राइज स्कूलों में इन भाषाओं को शामिल किया जा सकता है शहर में 6 सीएम राइज स्कूल योजना के तहत चयनित हैं। इन स्कूलों को बहुभाषी स्कूल भी कहा जाएगा।
वर्तमान शिक्षकों को ही करेंगे प्रशिक्षित
शिक्षा विभाग छात्रों को बहुभाषी तं बनाएगा, लेकिन इन भाषाओं क सिखाने वाले शिक्षकों की तैनात बड़ा सवाल है। स्थानीय अफसर का कहना है कि स्कूल के ही शिक्षक को प्रशिक्षित किया जाएगा। विभाग इन भाषाओं के जानकार शिक्षकों की तैनाती करेगा या इनसे अन्य शिक्षक को ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। इसके लिए निजी शिक्षकों की भी मदद लेने की योजना है।
बोर्ड परीक्षा के बदले ये नियम
एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए 5वीं और 8वीं को बोर्ड परीक्षा में शामिल कर लिया है।अब पूर्व की भांति कक्षा 8 तक के सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से पास करने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। अब वही छात्र पास होंगे जिनके द्वारा परीक्षा पास किया जायेगा। मतलब अब छात्र जबरन पास नहीं होंगे। उन्हें पढ़कर ही पास होना होगा। पूर्व में शिक्षा की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए ऐसी व्यवस्था की गई थी जिसमें कहा गया था आठवीं तक के किसी भी छात्रों को फेल नहीं किया जाएगा। लेकिन छात्रों में पढ़ाई के प्रति बढ़ती अरुचि को देखते हुए। अब परीक्षा में पास होने, सप्लीमेंट्री होने तथा पूरक होने की पूर्व व्यवस्था लागू कर दी गई है।