प्रदेश के करीब 850 पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर 

sadbhawnapaati
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जल्द आपूर्ति नहीं हुई तो और बिगड़ जाएंगे हालात
-भोपाल शहर के 12 से 13 पेट्रोल पंपों पर नहीं बचा पेट्रोल-डीजल

भोपाल। भले ही एक लंबे समय बाद केंद्र सरकार की ओर से ग्राहकों को कुछ राहत प्रदान की गई, लेकिन वहीं अब पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल व डीजल की किल्लत लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन गई है। यह परेशानी मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के इंटीरियर एरिया में ज्यादा देखने को मिल रही है। इस स्थिति के चलते प्रदेश के कई पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर आ गए हैं।
पेट्रोल पंपों की इस स्थिति के चलते संचालकों सहित ग्राहकों को समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। दरअसल, बीते कुछ दिनों से तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति घटा दी है। राजधानी के पेट्रोल पंपों पर तेल कंपनियां 50 प्रतिशत ही पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति कर पा रही हैं। इस बारे में मप्र पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि इससे सबसे अधिक परेशानी भारत व हिंदुस्तान पेट्रोल पंप के संचालकों को हो रही है, ऐसे में सोमवार को जहां प्रदेश के करीब 850 पेट्रोल पंपों बंद होने के कगार पर पहुंच गए है।
डीजल-पेट्रोल की किल्लत
वहीं भोपाल शहर के 12 से 13 पेट्रोल पंप की स्थिति काफी दयनीय हो गई, जिसके चलते वे कभी भी बंद हो सकते हैं। यहां आपको बता दें कि भोपाल में पेट्रोल पंपों की संख्या 152 है। इसके चलते नीलबड़, कोकता ट्रांसपोर्ट नगर, बैरसिया सहित शहर की सीमाओं व ग्रामीण क्षेत्र के पंपों पर पेट्रोल व डीजल न के बराबर बचा। इससे लोगों को एक से दूसरे पेट्रोल पंपों पर भटकना पड़ा। वहीं इंदौर शहर के पंप संचालकों का कहना है कि शहर के आसपास असर शुरू हो गया है। कंपनियों की रणनीति से इंडियन ऑयल पर दबाव बढ़ने लगा है। यदि ऐसी स्थिति कुछ दिन रही तो डीजल-पेट्रोल की किल्लत से इनकार नहीं कर सकते हैं। पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मप्र के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि क्रूड के दाम पहले भी बढ़े थे। तब कंपनियों ने इस तरह दिखाया था कि बीपीसीएल व एचपीसीएल से आपूर्ति प्रभावित हो रही है। वहीं सिंह के अनुसार शहरों से ज्यादा ये परेशान इंटीरियर क्षेत्रों में अधिक है, क्योंकि एक तो वहां आवाज उठाने वाले कम ही लोग होते हैं, दूसरी बात इस समय सोयाबीन व धान की खेती के चलते उन्हें डीजल आदि की अधिक जरूरत पड़ रही है। ऐसे में पेट्रोल पंपों में तेल न होना उनके लिए एक बड़ी समस्या का कारण बन रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ेगा अधिक असर

यदि तेल नहीं पहुंचा तो ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन व धान बुरी तरह से प्रभावित होगा। वैसे ही दुनिया में चल रहे युद्ध के बीच भारत ही बड़ा कृषि वाला देश है, यदि यहां भी इस साल खेती प्रभावित हुई तो महंगाई बढ़ना तय है। दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड के दामों में जारी उतार-चढ़ाव से तेल कंपनियों ने सुगम आपूर्ति से हाथ खींचते हुए अघोषित राशनिंग शुरू कर दी है। तेल कंपनियों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि डीजल में 23 रुपये और पेट्रोल में 16 रुपये प्रति लीटर घाटा हो रहा है, इसलिए खपत के अनुसार पेट्रोल व डीजल नहीं दे पा रही हैं। स्थिति बिगड़ते देख पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार को आगाह कर दिया है। बताया जा रहा है कि सार्वजनिक कंपनियों ने तो फिलहाल आपूर्ति प्रबंधन शुरू किया है। निजी कंपनियों ने तो डीलर्स को पंप बंद करने के ऑफर देने शुरू कर दिए हैं। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम बढ़ रहे हैं। सरकार राहत का लाभ उपभोक्ताओं को कुछ समय तक दाम स्थिर रखकर देना चाहती है, इसीलिए कंपनियों को दाम बढ़ाने से रोके रखा है। विश्लेषकों के अनुसार, क्रूड के दाम 120 डॉलर होने से कंपनियों का घाटा बढ़ने लगा है। यह दाम 100 डॉलर के समय के हैं। कंपनियां इसे नियंत्रित करने के लिए डीजल की आपूर्ति रोक रही है। जिन पंप पर पेट्रोल की खपत कम और डीजल की ज्यादा है, वहां तय मात्रा में पेट्रोल लेने की शर्त डाली जा रही है।

आपूर्ति कराने की मांग

इसे लेकर एसोसिएशन प्रदेश के मुख्य सचिव, चुनाव आयुक्त, संबंधित जिला कलेक्टर से तेल कंपनियों से खपत के अनुसार पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति कराने की मांग कर चुकी है। इसके बाद भी पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। केंद्र सरकार ने बीते दिनों उत्पाद शुल्क कम करके पेट्रोल व डीजल के दाम छह से साढ़े नौ रुपये कम तो कर दिए, लेकिन कंपनियां घाटा बता कर आपूर्ति नहीं कर रही हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। यदि हालात नहीं सुधरे तो राजस्थान की तरह आठ घंटे तक ही पेट्रोल पंप खोलने पड़ेंगे। इससे लोगों को पेट्रोल व डीजल के लिए परेशान होना तय है।

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