मध्यप्रदेश रियल एस्टेट का काला अध्याय : DHL की 30 से ज्यादा अधूरी कॉलोनियां, हजारों परिवार बेघर सपनों के पीछे, करोड़ों की राजस्व चोरी – RERA की ‘रेगुलेशन’ फेल ! 

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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डॉ देवेंद्र मालवीय इंदौर।

मध्यप्रदेश के भोलेभाले नागरिकों को रियल एस्टेट के चालाक ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ते सहारा ग्रुप ने हजारों लोगों से सपनों का घर दिखा कर करोड़ों अरबों का घोटाला किया कई वर्षों बाद भी जनता इसका दंश झेल रही है। रियल एस्टेट बाजार में एक ऐसा काला अध्याय फिर सामने आया है, जो हजारों मध्यमवर्गीय परिवारों के घर के सपनों को चूर-चूर कर रहा है। सिर्फ दो सालों में लगभग 30 कॉलोनियां लॉन्च करने वाली डीएचएल इन्फ्राबुल्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने इंदौर, सीहोर, भोपाल, देवास और धार जैसे पांच जिलों में धड़ल्ले से प्रोजेक्ट्स बेचे, लेकिन सात साल बाद भी कोई कॉलोनी पूरी नहीं हुई।

ग्राहकों का पैसा अटका है, किश्तें चुकाते-चुकाते साल बीत गए, लेकिन प्लॉट पर मकान का सपना आज भी पूरा नहीं हुआ, ऊपरसे गाइडलाइन वैल्यू से कहीं ज्यादा कीमत पर बिक्री से राज्य को करोड़ों के स्टांप ड्यूटी राजस्व की चपत लगी।

यह कंपनी संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में चल रही है, जिनका ऑफिस और निवास इंदौर में है, लेकिन RERA रजिस्ट्रेशन नागपुर (महाराष्ट्र) का पता दिखाया गया। सभी प्रोजेक्ट्स के बैंक अकाउंट एक ही गोयल नगर इंदौर ब्रांच में – यह सब कुछ वैध लगता है या धोखाधड़ी का जाल? हमारी जांच में RERA वेबसाइट से मिले डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

आइए, कानूनी प्रावधानों के आईने में देखें कि कैसे ये उल्लंघन ग्राहक अधिकारों का अपमान कर रहे हैं।

कॉलोनी विकास का ‘बुलबुला’ : 30+ प्रोजेक्ट्स, शून्य पूर्णता !

2017 से शुरू हुए इस कारोबार में बिलियनेयर्स लैंडमार्क, आइकॉन्स लैंडमार्क, एकेएस सेक्टर, ताज द क्राउन लैंडमार्क जैसे नामों से ग्राहकों को लुभाया गया। RERA डेटा के मुताबिक, ये सभी ‘ओंन गोइंग’ हैं, लेकिन कई के एक्सटेंशन रिजेक्ट हो चुके।

इन कालोनियों का जाल बुना गया था संतोष सिंह के द्वारा – 

 

RERA अधिनियम : ‘रेगुलेशन’ का मतलब सुरक्षा, लेकिन यहां उल्लंघन की भरमार !

रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) का मकसदही था बिल्डर्स की मनमानी रोकना। धारा 4 के तहत हर प्रोजेक्ट 500 वर्गमीटर से ज्यादा होने पर RERA में रजिस्टर अनिवार्य।

देरी पर धारा 18: बिल्डर को खरीदार को MCLR + 2% ब्याज देना पड़ता है, या रिफंड + ब्याज। गैर-पंजीकरण पर 10% प्रोजेक्ट कॉस्ट का जुर्माना या जेल। अधूरे हैंडओवर पर 5% तक पेनल्टी।

मध्यप्रदेश RERA नियम 2017 में स्पष्ट : प्रोजेक्ट समय पर पूरा न हो तो रेरा अथॉरिटी जुर्माना लगा सकती है। लेकिन यहां? सात साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं!

पता गलत दिखाना (नागपुर vs इंदौर) धारा 3 का उल्लंघन – ट्रांसपेरेंसी की कमी। सभी बैंक अकाउंट एक ब्रांच में : वित्तीय अनियमितता का संकेत, जो RERA की फंड मैनेजमेंट गाइडलाइंस का उल्लंघन।

 कालोनी विकास नियम : MP के कानूनों का खुला उल्लंघन!

मध्यप्रदेश नगरपालिका (कालोनी विकास) नियम, 2021  के तहत कॉलोनी में 10% प्लॉट EWS/ LIG के लिएआरक्षित। भूमि विकास नियम, 2012  में सड़क, जल निकासी, बिजली अनिवार्य। ग्राम पंचायत (कालोनी विकास) नियम, 2014  ग्रामीण क्षेत्रों के लिए। रियल एस्टेट पॉलिसी 2019  में ‘वन स्टेट वन रजिस्ट्रेशन’ – लेकिन यहां प्रोजेक्ट्स नाम मात्र विकास के बिके।

स्टांप ड्यूटी चोरी: गाइडलाइन वैल्यू से ऊपर बिक्री, करोड़ों का राजस्व नुकसान!ग्राहकों का आरोप है की प्लॉट्स गाइडलाइन वैल्यू (सर्कल रेट)से दोगुने-तिगुने दाम पर बेचे, लेकिन रजिस्ट्री कम वैल्यू पर – कैश में बाकी!

ग्राहकों की पीड़ा: ‘सपना बसा, हकीकत टूटी’इंदौर के एक निवेशक एस.के. सिंह ने बताया, 2 लाख किश्तें दीं, लेकिन कॉलोनी में घास तक नहीं। कई बार शिकायत की, लेकिन सुनवाई नदारद। हजारों परिवार प्रभावित – ज्यादातर गरीब/मध्यमवर्ग, कोई कार्रवाई न होने से भरोसा टूटा।

हमने संतोष सिंह को ईमेल पत्र भेजा – उनका पक्ष जानने की कोशिशकी, लेकिन अबतक जवाब नहीं।

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