सदभावना पाती – डॉ. देवेन्द्र
आप झोलाछाप कह सकते हैं । मैं इस अस्पताल में दोबारा नहीं आऊँगी.. कर्मचारियों का अनुभव शून्य है । ऐसे डॉ की वजह से हमें अबॉर्शन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । धिक्कार है ऐसे डॉक्टरों पर इनकी नैतिकता और अस्पताल पर ।
यहाँ कुछ गूगल रिव्यु प्रकाशित किए जा रहे हैं ।
पीड़ित प्रणय सिंह गूगल रिव्यु करते हैं कि
- खराब इलाज ।
- कर्मचारियों का अव्यवसायिक व्यवहार ।
- डॉक्टर समय पर नहीं आते ।
- दयनीय स्थिति में अत्यधिक शुल्क वाले कमरे प्रति रात 5000 (5 सितारा होटल की तरह शुल्क) ।
- बिलिंग पर अनप्रोफेशनल; जैसे अगर डॉक्टर राउंड लेते हैं और आपको 1.00 बजे तक डिस्चार्ज कर देते हैं तो वे आपसे केवल 2 घंटे के लिए पूरे 5000 रुपये चार्ज करेंगे और इसलिए क्योंकि डॉक्टर आपको डिस्चार्ज करने के लिए समय पर नहीं आते हैं ।
- फार्मेसी में वे अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा नहीं रखते हैं और वे इसे प्राप्त करने के लिए अस्पताल से 3 किमी दूर भेज देंगे ।
- शौचालय में हमेशा गंदगी और बदबू रहती है ।
कुछ गूगल यूजर यह भी आरोप लगाते हैं कि अस्पताल प्रबंधन आपसे फीस लेंगें डॉ बसेर के नाम पर और इलाज करवाते हैं जूनियर डॉक्टर्स से.
इससे पीड़ित यूजर मनोज धनोतिया लिखते हैं
डॉ अर्चना ब्रजेन्द्र बसेर एक स्त्री रोग विशेषज्ञ है, पर इनके अनुभव और कौशल पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं एक पीड़ित अंकुर पांडे गूगल रिव्यु करते हैं कि
गूगल उपयोगकर्ताओं के अनुसार झोलाछाप यानी डॉ अर्चना ब्रजेन्द्र बसेर का व्यवहार अपने मरीजों के साथ इतना निकृष्ट है कि वे एक बार मरीज के डिस्चार्ज के बाद आपातकाल में भी अपने मरीजों पर ध्यान नहीं देती ऐसी ही एक पीडित पूजा गुप्ता रिव्यु करती है ।
एक और पीड़ित ख़ुशी ठाकुर रिव्यु करती है
ऐसे दर्जनों नेगेटिव रिव्यू अस्पताल के नाम पर उपलब्ध है वहीं इससे कहीं अधिक पॉजिटिव रिव्यू भी हैं, अस्पताल की 5 स्टार रेटिंग के लिए गोल्डी पालीवाल नामक यूजर लिखते हैं “स्टाफ द्वारा कराए गए फेक रिव्यू है , बहुत लालची डॉ हैं”
यही बात कई और यूज़र्स भी कहते है यूजर पुष्पराज सिंह का कहना है
"अधिकांश अच्छी रेटिंग नकली होती हैं और उनके अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा दी जाती हैं। यह इंदौर के सबसे घटिया अस्पतालों में से एक है। इलाज करने वाले चिकित्सक बहुत ही अव्यवसायिक हैं वे केवल अनावश्यक परीक्षण/मामूली ओटी लगाकर आपके पैसे लूटते हैं। हालांकि यहां मरीजों की संख्या काफी कम है, लेकिन जो मरीज गलती से या इमरजेंसी में आ जाते हैं, उनसे पैसे वसूल कर लेते हैं। धिक्कार है ऐसे डॉक्टरों पर इनकी नैतिकता और अस्पताल पर।"
बता दें कि इस प्रकार अपने परिचितों या स्टाफ से पॉजिटिव रिव्यू करवाना साइबर फ्रॉड है और लोगों को बरगलाने की सीधी सीधी कोशिश है, साइबर क्राइम पुलिस को इसकी जाँच अवश्य करनी चाहिए. खैर टेक्नोलॉजी का ज़माना है अच्छा बुरा सब फर्जी और असली हो सकता है तो जब सच जानने सद्भावना पाती की रिपोर्टर अस्पताल पहुंची और डायरेक्टर डॉ बसेर से मिलने की कोशिश की तो रिसेप्शन डेस्क पर मौजूद कुणाल और पीयूष ने रिपोर्टर से बदतमीजी की. हो सकता है ये भी लंदन से ही पढ़ कर आए हों इसलिए तो इनकी भाषा भी डॉ बसेर से मेल खाती है.
अनेक अव्यवस्थाओं के बीच यहाँ की पार्किंग इतनी तंग है कि एक एम्बुलेंस भी बामुश्किल ही खड़ी हो पाती है, अस्पताल के सामने खड़ी एम्बुलेंस MP09AB7166 की जाँच एमपीआरटीओ पर की गई तो पाया कि एम्बुलेंस का फिटनेस 30/07/2022 को ही ख़त्म हो चुका है लेकिन आरटीओ और यातायात विभाग का इस और ध्यान ही नहीं है.
सवाल यह
क्या है इनका कहना
रिपोर्टर को डॉ बसेर से मुलाक़ात नहीं करवाने पर जब गूगल पर मौजूद अस्पताल के नंबर 097525 94080 पर कॉल किया गया तो वापस रिसेप्शन पर फ़ोन उठा कर डॉ से बात कराने से बत्तमीजी से मना कर दिया गया.
गूगल रिव्यू और शिकायतों के सन्दर्भ में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीएस सैत्या से मिलने की कोशिश की गई पर मुलाक़ात नहीं हो पाई जब उनके मोबाईल पर संपर्क किया गया तो जबाब न देते हुए टालमटोली करते हुए फ़ोन काट दिया गया.