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भोपाल में इस बार नहीं जुटेंगीं जमातें: 72 साल में पहली बार नहीं होगा आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आयोजन

• उलेमा-ए-दीन ने लिया फैसला, इज्तिमा में दुनिय़ा भर से जमातें आती हैं • दुनियाभर से 10 लाख से अधिक मुस्लिम श्रद्धालु होते है इज्तिमा में शरीक मुस्लिम समाज का दुनिया का दूसरा बड़ा धार्मिक समागम आलमी तब्लीगी इज्तिमा कोविड 19 के चलते नवंबर में नहीं होगा। उलेमा-ए-दीन ने ये फैसला किया है। भोपाल के 72 साल के इतिहास में ये पहला मौका है जब इज्तिमा स्थगित किया गया है। मुस्लिम समाज का ये सालाना धार्मिक कार्यक्रम हर साल भोपाल में होता है और इसमें दुनियाभर से 10 लाख से मुस्लिम जायरीन अलग-अलग जमातों के साथ आते हैं। ईंटखेड़ी में लगने वाले इज्तिमा के दौरान 4 दिन तक मजहबी तकरीरें होती हैं। भोपाल में होने वाले इज्तिमा का ये 73वां साल होता। आलमी तब्लीगी इज्तिमा आयोजन समिति के प्रवक्ता अतीक-उल-इस्लाम ने बताया कि देश-दुनिया से इज्तिमा में शिरकत करने आने वाली जमातों में शामिल बंदों की सेहत के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।

इस साल इज्तिमा 27 से 30 नवंबर तक प्रस्तावित था। हर साल की तरह इस बार भी इस समय में लाखों मुस्लिम ज़ायरीन राजधानी भोपाल पहुंचते और प्रशासन भी व्यापक इसके लिए इंतजाम करता है, लेकिन कोरोना के कारण उलेमा-ए-दीन कमेटी ने खुद ही इसका आयोजन टाल दिया है। प्रशासन ने भी अब तक इतनी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा करने की परमिशन शासन ने नहीं दी है। लाखों की संख्या में आने वाले लोगों की व्यवस्था प्रशासन नहीं कर सकता। साथ ही दूसरे देशों और राज्यों से आने वाले लोगों से कोरोना फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में यह फैसला लिया गया है कि इस साल इज्तिमा का आयोजन नहीं किया जाएगा। जायरीनों की संख्या बढ़ी तो ईटखेड़ी में होने लगा इज्तिमा इज्तिमा पहले शहर की ताजुल मसाजिद में होता था, लेकिन जायरीनों की तादाद बढ़ने के कारण जगह कम पड़ने लगी। इसलिए पिछले कुछ साल से हर साल शहर के बाहर ईटखेड़ी में तब्लीगी इज्तिमा का आयोजन किया जाने लगा। इसमें दुनियाभर की जमातें और 10 लाख से अधिक मुस्लिम जायरीन शामिल होते हैं। प्रशासन की तरफ से इनके रुकने के लिए जगह-जगह व्यवस्था की जाती है।

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