वेरिफिकेशन के लिए 120 दिन की जगह सिर्फ 30 दिन का मौका
देश। 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष का रिटर्न जमा करने की मियाद बीत चुकी है। रिटर्न दाखिल करने से चूके करदाता अब 31 दिसंबर तक लेट फीस के साथ रिटर्न भर सकेंगे। इस बीच जिन करदाताओं ने रिटर्न जमा कर दिए उनमें से भी कई के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। सीबीडीटी ने रिटर्न वेरिफिकेशन की मियाद 120 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी। इस अवधि में वेरिफिकेशन नहीं होने की स्थिति में रिटर्न विलंबित माना जाएगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक नोटिफिकेशन के अनुसार 13 जुलाई तक रिटर्न दाखिल करने वालों की वेरिफिकेशन की सीमा 31 जुलाई है, लेकिन कुछ रिटर्न के मामलों में 30 दिन में ही मियाद बीतने के मैसेज आ रहे हैं। इससे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कर सलाहकार खासे परेशान हैं।
आइसीएआई सीए शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए पंकज शाह के मुताबिक, वेरिफिकेशन की सीमा 120 दिन से घटाकर 30 दिन करने का मतलब यह है कि अब से 30 दिन के बाद ई-सत्यापित / आइटीआर-वी करने पर विलंबित फाइलिंग माना जाएगा। करदाता अगर लेट वेरिफिकेशन की उचित वजह नहीं बता सकेंगे तो पेनल्टी-ब्याज दोनों लगेगा।
आयकर रिटर्न जमा करने के अंतिम दिन 31 जुलाई की देर रात तक चार्टर्ड अकाउंटेंट्स व कर सलाहकारों के दफ्तरों में काम चलता रहा। इसके बावजूद 30 फीसदी से अधिक रिटर्न जमा नहीं हो सके।
इसके पीछे प्रमुख वजहों में शेयर और म्युच्युअल फंड में किए इनवेस्टमेंट की जानकारी जुटाना और एलआईसी, बैंक स्टेटमेंट आदि समय पर नहीं मिल पाना रहा है। 5 लाख रुपए से कम आय वाले अब 31 दिसंबर तक 1 हजार रुपए और 5 लाख से अधिक आय वाले 31 दिसंबर तक 1 हजार जुर्माने के साथ जमा करेंगे।