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सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिया इस्तीफा

National News in Hindi. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। बता दें कि सिसोदिया कथित आबकारी घोटाले के मामले में पांच दिन की सीबीआई रिमांड पर चल रहे, वहीं मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद हैं।

सूत्रों के मुताबिक मनीष सिसोदिया के कुछ विभाग परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत संभालेंगे। वहीं राजकुमार आनंद को भी कुछ विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने रविवार को गिरफ्तार किया था और सोमवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिन की रिमांड प्राप्त करने में कामयाब रही।

सीबीआई की इस कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा कि मामला दिल्ली में होने का यह मतलब नहीं कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करें। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास अपनी जमानत को लेकर कई सारे विकल्प हैं। उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट जाना चाहिए। इस मामले में हम कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

वहीं सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अब इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर जाएगी। पार्टी ने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं। 

भाजपा दिल्ली सरकार में हुए कथित शराब घोटाले के बारे में जानकारी देने के लिए राजधानी के हर घर का दरवाजा खटखटाएगी। भाजपा कार्यकर्ता दिल्ली के हर बूथ के हर घर तक पहुंचकर नई शराब नीति में हुई अनियमितताओं की जानकारी देगी। इसकी विस्तृत योजना आज दिल्ली प्रदेश भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक में तय की जाएगी।

सीबीआई ने सिसोदिया से इन मुद्दों पर पूछे थे सवाल

सीबीआई ने पाया था कि साउथ लॉबी’ के कहने पर नई आबकारी नीति में शराब के थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन की सीमा को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। ‘साउथ लॉबी’ राजनेताओं और शराब व्यवसायियों का एक समूह है जिसने कथित तौर पर नीति को अपने पक्ष में करा लिया।

यह भी आरोप लगाया गया है कि मंत्रियों के एक समूह ने लाभ मार्जिन का पांच प्रतिशत तक सीमित करने की बात कही थी जो मसौदा नीति का सार भी था। आरोप है कि विशेषज्ञ समिति के समर्थन में मंत्रिपरिषद के लिए पहले के एक नोट को छिपाकर सुनियोजित तरीके से मंत्री समूह का गठन कर आबकारी नीति पर विशेषज्ञ समिति की एक रिपोर्ट को पूरी तरह से बदल दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि सिसोदिया से इन मुद्दों से जुड़े सवाल किए गए जिनके जवाब वे टाल गए।

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