हाईकोर्ट की सरकार को फटकार: मुकदमेबाजी को करें नियंत्रित

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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जबरन अपील से होता है पैसा और समय बर्बाद  

 
इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बेफिजूल अपील पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा सरकार जबरन मुकदमे बाजी को बढ़ावा ना दे। जिन मामलों में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फैसला सुना दिया है उन मामलों को पुनः डबल बेंच या उच्च अदालतों में चुनौती देकर मामलों को कई वर्षों तक लटकाए रखा जाता है। यह ठीक नहीं है।
 इंदौर खंडपीठ ने एनवीडीए के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को पांचवें और छठवें वेतनमान दिए जाने के संबंध में एकल पीठ द्वारा जो फैसला दिया गया था उसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने जो अपील की थी उस पर नाराजगी जताई।
सरकार द्वारा पेश अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि सरकार यह उम्मीद नहीं करें कि छोटा कर्मचारी अपनी आवश्यकताओं के लिए कोर्ट का आदेश लाकर दे। छोटे-छोटे मामले में जबरन अपील करके सरकार पैसा और कोर्ट का समय बर्बाद करती है। इस तरह की अपीलों पर हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।