डा. राठी ने बताया कि आमजन में मानसिक बीमारियों को लेकर जागरूकता बढ़ी है। मानसिक बीमारियों को लेकर समाज की सोच में आए बदलाव की वजह से मानसिक रोगियों को ठीक करने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोविड संक्रमण के बाद मानसिक बीमारियों में अवसाद, एंजाइटी, तनाव, अनिद्रा जैसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। मनोचिकित्सकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले मप्र में सिर्फ 30 मनोचिकित्सक हुआ करते थे, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 250 से ज्यादा है। हर वर्ष प्रदेश में 30 से ज्यादा मनोचिकित्सक बढ़ रहे हैं।
समाज की भूमिका महत्वपूर्ण – डा. पाल ने मानसिक बीमारियों एवं उपलब्ध नई उपचार पद्धतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब तक हम मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चर्चा नहीं करेंगे, तब तक समस्या का समाधान नहीं कर सकते। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस बेंगलुरु के डा. जनार्दन रेड्डी ने कहा कि समाज के सहयोग के बगैर मानसिक रोगी का इलाज कर पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे रोगियों के इलाज के लिए डाक्टर के साथ-साथ समाज की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इंडियन जर्नल आफ मेंटल हेल्थ के एडिटर डा. अविनाश डिसूजा ने अवसाद को लेकर बताया कि महामारी के दौरान मानसिक रोगियों की संख्या में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। कार्यक्रम के अंत में आभार डा. विजय निरंजन ने माना।