शहरी और ग्रामीण इलाकों के आबादी वाले क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली मुहैया कराए जाने और 15 मिनट से ज्यादा समय के लिए बिजली कटौती किए जाने से पहले उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी मुहैया कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन बिजली कंपनी के स्थानीय अधिकारियों के द्वारा कटौती से पहले उपभोक्ताओं को कोई जानकारी नहीं दी जाती है। वहीं हर रोज ग्रामीण क्षेत्रों में 12 से 18 घंटों तक कटौती की जा रही है। इससे लोगों को उमस भरी गर्मी में दिन और रात के समय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रवासी आए दिन बिजली कटौती से परेशान होकर हेल्पलाइन नंबरों से लेकर बिजली कंपनी के आला अफसरों को फोन पर शिकायत करते रहते हैं।
जिले के करीब 70 हजार हेक्टेयर जमीन पर मूंग की बोवनी की गई है। इस फसल की सिंचाई के लिए किसानों को बिजली नहीं मिल रही है। किसानों को फसल की सिंचाई के लिए जनरेटर का उपयोग करना पड़ रहा है। जिसमें एक हेक्टेयर में 7500 हजार रुपये से ज्यादा का डीजल तक खर्च हो रहा है। किसानों का कहना है कि फसल के लिए तो बिजली मिल ही नहीं रही और तो और घरों में भी बिजली नहीं मिलने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
जिले के सैंकड़ों गांवों में यही स्थिति है। इछावर ब्लाक के अधिकतर गांवों में यही हाल हैं। नीलबड़ और दिवड़िया के किसानों ने बताया कि गांव में 12 से 16 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। इसी तरह आष्टा के जावर क्षेत्र में सबसे ज्यादा बिजली कटौती हो रही है। बिजली कटौती के कारण लोगों को खासा परेशानी हो रही है। इसी तरह नसरुल्लागंज और बुधनी में भी कटौती की जा रही है।
इस संबंध में बिजली कंपनी के सहायक यंत्री शरद महोबिया का कहना है कि लोड शिफ्टिंग के कारण अधिकारियों से बिजली कटौती के निर्देश मिल रहे हैं। जिसके चलते बिजली कटौती की जा रही है। जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।