• पुरातन विज्ञान को सामने लाने संस्कृत, सिंधी और पाली जैसी भाषाओं का अध्ययन जरूरी • संस्कृत कोर्स के बारे में निदेशक ने कहा- धार्मिक शिक्षा देना मकसद नहीं, यह विज्ञान और तकनीक के लिए प्रयास है आईआईटी इंदौर जल्द ही एनशियंट इंडियन लैंग्वेज सेंटर बनाने जा रहा है। यहां पुरातन भारतीय भाषाओं में मौजूद विज्ञान और तकनीक सहित अन्य जानकारियों को पढ़ाया जाएगा, जो आज के समय में प्रासंगिक हैं। आईआईटी इंदौर के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर नीलेश जैन ने ये जानकारी संस्कृत भाषा के कोर्स के समापन अवसर पर दी। ऑनलाइन हुए इस कार्यक्रम में आईआईटी इंदौर बोर्ड के चेयरमैन डॉ. दीपक फाटक सहित अन्य लोग मौजूद थे। प्रोफेसर जैन ने कहा, संस्कृत के अलावा सिंधी, प्राकृत और पाली सहित अन्य पुरानी भाषाओं में कई ऐसी गूढ़ चीजें हैं, जो आज के समय में प्रासंगिक हैं। इनमें विज्ञान और तकनीक की भी जानकारी है। संस्कृत में भास्कराचार्य की लीलावती कोर्स को मिली सफलता और प्रसिद्धि के बाद हम पुरातन भारतीय भाषा केंद्र खोलने पर विचार कर रहे हैं।
संस्कृत में कोर्स शुरू किए जाने की बात पर प्रोफेसर जैन ने कहा, कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए थे। ये कोई धार्मिक शिक्षा नहीं है। पुरातन विज्ञान को सामने लाने के लिए इन भाषाओं का अध्ययन जरूरी है। चेयरमैन डॉ. फाटक ने कहा हमें वैज्ञानिक साहित्य पर भी ध्यान देना चाहिए। किसी भी नई भाषा को सीखना जीवनपर्यंत अनुभव होता है। आईआईटी में ऐसे प्रयोग होते रहना चाहिए। राष्ट्र निर्माण के लिए संस्कृति जरूरी : प्रो. हिमांशु राय कार्यक्रम में मौजूद आईआईएम निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय ने कहा, किसी भी देश के निर्माण में भूगोल, जनसंख्या और संप्रभुता की जरूरत होती है, लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए इन तीनों के साथ संस्कृति भी जरूरी है। हमारे देश की संस्कृत ही हमारी संस्कृति है। आईआईटी द्वारा अगस्त में शुरू किए गए संस्कृत कोर्स में विदेशों से भी लोगों ने हिस्सा लिया। दो चरणों के इस कोर्स में साढ़े सात सौ से ज्यादा प्रतिभागी थे। समापन अवसर पर फ्रांस और सिंगापुर के प्रतिभागियों ने भी विचार रखे।
This article had me hooked! For further reading, check out: DISCOVER MORE. What are your thoughts?